(देहरादून)28नवंबर,2025.
देहरादून के राजभवन सभागार में उत्तराखण्ड में सुरक्षा एवं पर्यावरण चुनौतियों तथा पर्यटन विषय पर महत्वपूर्ण विमर्श कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए।
अपने संबोधन में राज्यपाल ने कहा कि आज यह संकल्प लेने का समय है कि हम उत्तराखण्ड में द्वितीय पंक्ति के सुरक्षा प्रहरी के रूप में कार्य करेंगे। देवभूमि के पर्यावरण संरक्षण हेतु हमें प्राचीन संतों के आचरण को आत्मसात करना होगा तथा पर्यटन के उत्थान के लिए “अतिथि देवो भवः” की भावना को अपनाना होगा। राज्यपाल ने विशेष रूप से युवाओं और पूर्व सैनिकों से राष्ट्रहित, पर्यावरण एवं पर्यटन विकास में योगदान देने की अपील की।
उन्होंने कहा कि यदि राष्ट्र सुरक्षित होगा तो समाज सुरक्षित होगा और समाज सुरक्षित होगा तो परिवार सुरक्षित रहेगा। राज्यपाल ने मुगल व अंग्रेज काल में भारतीय स्वाभिमान और मूल्यों पर पड़े प्रहार का उल्लेख करते हुए कहा कि विकसित भारत के निर्माण हेतु हमें एकता, तालमेल और राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखना होगा।
राज्यपाल ने यह भी कहा कि वर्ष 2014 के बाद देश में आत्मनिर्भर भारत, सशक्त एवं समृद्ध भारत के लक्ष्य की दिशा में मजबूत और निर्णायक नेतृत्व के अंतर्गत ठोस निर्णय लिए गए हैं। उत्तराखण्ड के विकास के लिए उन्होंने पांच क्रांतियों — हनी क्रांति, एरोमा क्रांति, मिलेट क्रांति, स्वयं सहायता समूह क्रांति एवं होमस्टे क्रांति — को अनिवार्य बताया।
विमर्श में संबोधित करते हुए लेफ्टिनेंट जनरल ए.के. सिंह ने सुरक्षा क्रियान्वयन के संदर्भ में कहा कि चीन–पाक गठजोड़, बांग्लादेश–पाक के बढ़ते संबंध, सीमा तस्करी, साइबर हमले, नकारात्मक सोशल मीडिया, देश विरोधी टूलकिट और प्रचार दोनों ही — आंतरिक एवं बाह्य सुरक्षा के बड़े खतरे हैं।
उन्होंने जन–सामान्य को प्रशिक्षित, सुशिक्षित, जागरूक तथा राष्ट्रनिष्ठ होने की आवश्यकता बताई।
मैती आंदोलन के प्रणेता पदमश्री कल्याण सिंह रावत ने कहा कि कोयला उत्पादन के लिए अंग्रेजों द्वारा बांझ पेड़ों की कटान और चीड़ की विदेशी प्रजातियों के रोपण ने पर्यावरण असंतुलन को जन्म दिया है। वर्तमान में बांझ के पेड़ लगभग 14% रह गए हैं जबकि चीड़ 27% से अधिक हो चुके हैं।
उन्होंने सुझाव दिया कि चीड़ का पातन इस शर्त पर अनुमति दी जाए कि उसके बदले बांझ और स्थानीय प्रजातियों के पौधे लगाए जाएं। विवाह में वर–वधू द्वारा प्रत्येक वर्ष पौधारोपण को उन्होंने बड़ा समाधान बताया।
कमांडर दीपक खंडूरी ने कहा कि उत्तराखण्ड में ग्रामीण पर्यटन, ईको-टूरिज्म, झील पर्यटन, वेलनेस पर्यटन, आध्यात्मिक पर्यटन, साहसिक पर्यटन, एंग्लिंग और वन्यजीव पर्यटन की अत्यधिक संभावनाएं हैं।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में अधिकतर पर्यटक नैनीताल, मसूरी, हरिद्वार और राजाजी पार्क तक सीमित हैं, जिससे इन क्षेत्रों की कैरिंग कैपेसिटी ओवरलोड हो रही है। पर्यटन को तंत्रबद्ध और संतुलित बनाने के लिए नए डेस्टिनेशन विकसित करने, रोपवे, सड़क, हवाई और रेल कनेक्टिविटी के विस्तार तथा पर्यटन मास्टर प्लान पर किए जा रहे कार्यों पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम का शुभारंभ अखिल भारतीय पूर्व सैनिक परिषद के अध्यक्ष ले. (रि.) जनरल बी. के. चतुर्वेदी के संबोधन से हुआ, जबकि समापन संबोधन कर्नल (रि.) अजय कोठियाल द्वारा दिया गया।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में सेवानिवृत्त सैनिक अधिकारी, छात्र-छात्राएं और विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
