कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की ‘लाइफ लाइन’ है रामगंगा नदी

Uttarakhand News

(नैनीताल)21अप्रैल,2025.

रामनगर स्थित विश्वप्रसिद्ध कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (CTR) की जैव विविधता और नैसर्गिक सुंदरता की असली जान अगर किसी एक प्राकृतिक संसाधन को माना जाए, तो वो रामगंगा नदी है।यह नदी ना केवल रिजर्व के पारिस्थितिकी तंत्र को संजीवनी देती है, बल्कि यहां रहने वाले सैकड़ों वन्यजीवों और वनस्पतियों का जीवन का आधार भी है।

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक डॉ. साकेत बडोला मानते हैं कि यह नदी रिजर्व के हृदय में बहती है और इससे जुड़ा कालागढ़ डैम पूरे क्षेत्र में जल स्तर को बनाए रखने में सहायक है। डॉ. बडोला कहते हैं, यह बहती नदी और डैम का बैकवाटर मिलकर एक संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करते हैं।रामगंगा नदी केवल जल का स्रोत नहीं है, बल्कि यह टाइगर, तेंदुए, हाथी, भालू और हिरण जैसे वन्यजीवों के लिए जीवनदायिनी धारा है. साथ ही, यह मगरमच्छ, संकटग्रस्त घड़ियाल और ऊदबिलाव जैसे जलीय जीवों के लिए सुरक्षित आवास भी प्रदान करती है।

रामगंगा नदी मध्य हिमालय से निकलकर कॉर्बेट में प्रवेश करती है। इसमें मंदाल और सोना जैसी सहायक नदियां मिलती हैं और यह रामगंगा जलाशय का निर्माण करती हैं।जो पूरे वन क्षेत्र में जल संतुलन बनाए रखती हैं।यह जलाशय जलीय जीवन और मछलियों की सैकड़ों प्रजातियों का पोषण करती है।

रामगंगा नदी इस क्षेत्र की सबसे प्रमुख जलधारा है, ना केवल यह वन्यजीवों को जीवन देती है, बल्कि इसकी प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों को भी खींचती है।कालागढ़ डैम से जलाशय तो बना ही साथ ही बिजली उत्पादन में भी यह मददगार साबित हुआ है।

वन्यजीव प्रेमियों के अनुसार कॉर्बेट का सबसे प्रसिद्ध जोन ढिकाला,जो अपनी नैसर्गिक सुंदरता और विविध वाइल्डलाइफ के लिए जाना जाता है।उसकी समृद्धि का कारण रामगंगा नदी है।यदि यह नदी न होती तो ढिकाला की जैव विविधता और पर्यावरणीय सुंदरता संभव नहीं होती।यह नदी कॉर्बेट की धड़कन है और इसका संरक्षण हम सभी की साझा जिम्मेदारी है।

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