(अल्मोड़ा)12फरवरी,2025.
कैंसर के मरीजों को कीमोथैरपी के दौरान दी जाने वाली: डॉक्सोरूबिसिन दवा के दुष्प्रभावों को स्ट्रॉबेरी, अंगूर, प्याज, सेब और खीरे में पाया जाने वाला में फीसटीन कम करेगा। सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय (एसएसजे) और बनारस हिंदू विवि (बीएचयू) के शोधार्थियों ने वर्ष 2022 से 2024 तक चूहों पर की गई रिसर्च में पाया कि डॉक्सोरूबिसिन और फीसटीन का संयोजन कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने में प्रभावी रहा।
शोध में एसएसजे परिसर से डॉ. मुकेश सामंत, सुमित सिंह, विनीता गोरी, डॉ. रणजीत सिंह और बीएचयू के वीरेंद्र सिंह और बिप्लव शामिल रहे। चूहों में कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को रोकने में महत्वपूर्ण सफलता मिली। उपचार के बाद चूहों के स्वास्थ्य में सुधार देखा गया और यह मिश्रण चूहों में कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने में कारगर साबित रहा। शोध कार्य के लिए मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा शोध प्रोत्साहन योजना के तहत नौ लाख रुपये स्वीकृत हुए थे।
क्या है डॉक्सोरूबिसिन:
यह एक एंटी-कैंसर दवा है, जो लिंफोमा सहित दूसरे प्रकार के कैंसर के इलाज में दी जाती है। डॉक्सोरूबिसिन के प्रयोग से हृदय संबंधी, बाल झड़ने, कमजोरी, लाल रक्त कोशिकाओं में कमी आने और हीमोग्लोबिन कम होने जैसे दुष्प्रभाव देखने को मिलते हैं।
फीसटीन के गुण:
फीसटीन एक फ्लेवोनॉयड तत्व है जो फल और सब्जियों में पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। शोध के दौरान पाया गया कि फीसटीन में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीप्रोलीफेरेटिव (कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को रोकने) और एपोप्टोटिक (मृत कोशिका को प्रेरित करने ) वाले गुण पाए जाते हैं।
जल्द होगा क्लीनिकल ट्रायल:
शोध में लिंफोमा कैंसर के इलाज में डॉक्सोरूबिसिन और फीसटीन का संयोजन प्रभावी साबित हुआ। चूहों पर किए गए परीक्षण में सफलता मिली है। जल्द डॉक्सोरूबिसिन और फीसटीन के संयोजन का क्लीनिकल ट्रायल किया जाएगा। यदि यह संयोजन इन्सानों में भी प्रभावी साबित हुआ तो यह लिंफोमा और अन्य कैंसरों के इलाज में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। -डॉ. मुकेश सामंत, शोध प्रधान अन्वेषक, एसएसजे परिसर(साभार एजेंसी)