(देहरादून)27मार्च,2025.
उत्तराखंड राज्य से ग्रीन बोनस की आवाज उठती रही है, लेकिन जिन वनों के बलबूते इसकी पैरवी की जा रही है, वहां जंगलों की तस्वीर बदल रही है। 44893.60 हेक्टेयर वन भूमि अलग-अलग योजनाओं के नाम पर अन्य विभागों को हस्तांतरित की जा चुकी है। अभी वन भूमि हस्तांतरण के कई प्रस्ताव विभाग के पास लंबित हैं। 16827.788 हेक्टेयर भूमि वन विभाग ने लीज पर दी है। तराई पूर्वी वन प्रभाग के बागजाला की तरह कई जगह लीज अवधि खत्म होने पर भी कब्जाधारकों ने भूमि नहीं छोड़ी है। पट्टे का नवीनीकरण भी नहीं हुआ।
3982 वन भूमि प्रस्तावों को दी गई हरी झंडी:
वन भूमि हस्तांतरण के नोडल कार्यालय देहरादून के अनुसार वित्तीय वर्ष-2000-01 से 2023-2024 तक 3982 वन भूमि हस्तांतरण के प्रस्तावों को मंजूरी मिली। 44893.60 हेक्टेयर वन भूमि हस्तांतरित की गई है। सबसे अधिक सड़क, खनन के लिए 18 हजार हेक्टेयर से अधिक वन भूमि संबंधित विभागों को दी गई। पेयजल, सिंचाई, जल विद्युत के लिए वन भूमि को हस्तांतिरित की गई।
सबसे अधिक वनभूमि हस्तांतरण उत्तराखंड में:
उत्तराखंड में हर तीसरे दिन कहीं न कहीं पर विकास कार्यों के लिए वन भूमि हस्तांतरित हो रही है। इन विकास कार्यों के बावजूद हर दूसरे गांव में पलायन जैसी जन समस्याएं आम हैं। हिमालयी राज्यों में सबसे अधिक वन भूमि हस्तांतरण उत्तराखंड में हुआ है।
- अनूप नौटियाल, एसडीएस फाउंडेशन के संस्थापक व सामाजिक कार्यकर्ता
हर साल रोपे जाते हैं एक करोड़ से अधिक पौधे:
वन भूमि हस्तांतरित होती है तो उसके बदले क्षतिपूरक वनीकरण के लिए पौधरोपण किया जाता है। प्रदेश में हर साल एक करोड़ से अधिक पौधे रोपे जाते हैं। राज्य में फॉरेस्ट कवर बढ़ा है। कब्जा की गई वन भूमि खाली कराने के लिए अभियान चला रहे हैं।
- आरके सुधांशु, प्रमुख सचिव । (साभार एजेंसी)