हल्दी के उत्पादन से 1200 महिलाओं को मिला रोजगार, पलायन की रोकथाम में मददगार बन रही मातृशक्ति

Uttarakhand News

(अल्मोड़ा)18दिसम्बर,2024.

अल्मोड़ा जिले के सल्ट विकासखंड में महिलाओं की ओर किया जा रहा हल्दी का उत्पादन रंग ला रहा है। कुमाऊं और गढ़वाल की 1200 महिलाओं ने इसकी खेती कर स्वरोजगार को अपनाया है। महिलाएं खेती को पुनर्जीवित कर पलायन को रोकने में भी मदद कर रहीं हैं।

सल्ट में इस अभियान की शुरुआत* सामाजिक कार्यकर्ता अजय जोशी और शंकर दत्त के नेतृत्व में श्रमयोग संस्था की स्थापना के साथ की गई थी। इसके बाद महिलाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए रचनात्मक महिला मंच बनाया गया। समूह गठित करके महिलाओें को हल्दी की खेती से जोड़ा गया। इससे पहले यहां की हल्दी बिचौलियों के माध्यम से करीब 40 से 45 रुपये प्रतिकिलो में बेची जाती थी लेकिन इन महिलाओं को एक बाजार उपलब्ध कराया गया। तब से उनकी हल्दी क्षेत्र में ही एक स्थान पर एकत्र की जाती है। पिसवाकर पैकिंग के जरिये उसे बाजार में बेचा जाता है। सबसे पहले जब इस उत्पाद को बेचा गया तो प्रत्येक महिला को 90 रुपये प्रति किलो के हिसाब से भुगतान किया गया। जो समय-समय पर बढ़ते बाजार भाव के हिसाब से बांटा गया। अब सफलता का यह दायरा लगातार बढ़ रहा है। महिलाओं के समूहों की संख्या अब 100 के पार कर गई है तथा 1200 महिलाएं रोजगार से जुड़ गईं हैं। क्षेत्र में लोग इसे महिला क्रांति का नाम दे रहे हैं।

सामाजिक सरोकारों से भी जुड़ीं महिलाएं:
ये महिलाएं अब हल्दी की खेती के साथ ही अपने सामाजिक सरोकारों को लेकर भी जागरूक हैं। हर तीन महीने में उनकी बैठकें होती हैं। शराब विरोधी आंदोलन तथा मानव-वन्य जीव संघर्ष समेत कई सामाजिक मुद्दों को लेकर वे एकजुट हो रही हैं।

नैनीडांडा तक भी बढ़ा कारवां:
सल्ट की महिलाओं से प्रेरित होकर सल्ट विकासखंड से सटे जिले पौड़ी गढ़वाल के नैनीडांडा विकासखंड की महिलाओं ने भी गांव-गांव में अपने समूह बनाने शुरू किए। यहां भी रचनात्मक महिला मंच की नैनीडांडा इकाई का गठन किया गया। महिलाओं की जागृति का यह अभियान जारी है। इनके उत्पादों की मांग देहरादून से दिल्ली और मुंबई तक है।

सीएम भी कर चुके हैं सम्मानित:
रचनात्मक महिला मंच की सदस्यों की कार्यक्षमता और उनके संघर्ष को देखते हुए सीएम श्री पुष्कर सिंह धामी उन्हें सम्मानित कर चुके हैं। वहीं, कृषि विभाग और जिला प्रशासन की ओर से भी उन्हें सम्मानित किया जा चुका है।

ज्ञात हुआ है कि क्षेत्र की महिलाओं की आर्थिकी बढ़ाने और उनका जीवन स्तर सुधारने के लिए श्रम संघ की स्थापना की गई थी जो बाद में एक अभियान का रूप लेकर बढ़ता गया। अब रचनात्मक महिला मंत्र क्षेत्र की महिलाओं की प्रगति का सशक्त मंच बन गया है।

रचनात्मक महिला समूह से जुड़ना काफी सुखद अनुभव रहा है। इससे न केवल अपनी प्रतिभा का सदुपयोग करने का अवसर मिला बल्कि परिवार के पालन-पोषण में भी हम सहयोग कर पा रही हैं।

पता चला है कि संगठन से इलाके में महिलाओं के जनजागरण और स्वावलंबन की दिशा में अहम काम किया है। इससे गांव-गांव में क्रांति आ रही है। इससे महिला सशक्तिकरण हो रहा है(साभार एजेंसी)

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