नई जैव – अर्थव्यवस्था नीति भारत को ग्लोबल लीडर के तौर पर स्थापित करेगी

National News

(नई दिल्ली)26अगस्त,2024.

केन्द्रीय मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा, ‘‘मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई नई जैव- अर्थव्यवस्था नीति आने वाले वर्षों में भारत को वैश्विक लीडर के तौर पर स्थापित करेगी।’’ डॉ. सिंह ने केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा हाल में भारत के विनिर्माण क्षेत्र में एक परिवर्तनकारी बदलाव की शुरूआत करने वाले महत्वकांक्षी बायोई3 (अर्थव्यवस्था, रोजगार और पर्यावरण के लिये जैवप्रौद्योगिकी) नीति पर लिये गये निर्णय की मीडिया को जानकारी देते हुये यह कहा।

डॉ । जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत एक वैश्विक जैव प्रौद्योगिकी महाशक्ति के रूप में उभरा है , जबकि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को अर्थव्यवस्था , नवाचार , रोजगार और पर्यावरण प्रतिबद्धता के लिए नई जैव प्रौद्योगिकी में तेजी लाने के चैंपियन के रूप में दुनिया भर में सम्मानित किया जाएगा । बढ़ावा देने का वादा किया है

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ​​ जितेंद्र सिंह ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व की सराहना की और कहा कि उन्होंने एक प्रगतिशील नीति को आगे बढ़ाया है जिसका उद्देश्य पारंपरिक उपभोक्तावादी सोच से दूर जाना और स्वच्छ , हरित और अधिक समृद्ध भारत के लिए बेहतर प्रदर्शन करने वाली , नवीकरणीय जैव-विनिर्माण नीति को अपनाना है । दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है .

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री ( स्वतंत्र प्रभार ), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री ( स्वतंत्र प्रभार ) , प्रधान मंत्री कार्यालय , परमाणु ऊर्जा विभाग , अंतरिक्ष विभाग , कार्मिक , लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री जैव-अर्थव्यवस्था में उछाल पर , जितेंद्र सिंह ने कहा , “ भारत की जैव-अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है , जो 2014 में 10 बिलियन डॉलर से तेजी से बढ़कर 2024 में 130 बिलियन डॉलर से अधिक हो गई है । 300 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है यह वृद्धि भारत की तीव्र आर्थिक वृद्धि को दर्शाती है यह हालिया नीति विकास की गति को और तेज करेगी और भारत को चौथी औद्योगिक क्रांति में संभावित नेता के रूप में स्थापित करेगी ”यह एक अच्छा काम है.

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा, ‘‘जैवई3 नीति भारत के वृद्धि दायरे का विस्तार करेगी और न्यूनतम कार्बन उत्सर्जन के साथ जैव आधारित उत्पादों के विकास को बढ़ावा देते हुये ‘मेक इन इंडिया’ प्रयासों में व्यापक योगदान करेगी।’’

डॉ । जितेंद्र सिंह के अनुसार , बायोई 3 नीति जलवायु परिवर्तन और घटते गैर – नवीकरणीय संसाधनों जैसी संवेदनशील वैश्विक चुनौतियों से निपटने के उद्देश्य से तैयार की गई है । यह 1- रसायन आधारित उद्योगों से टिकाऊ जैव – आधारित मॉडल में बदलाव की सुविधा प्रदान करता है 2- यह सर्कुलर बायोइकोनॉमी को बढ़ावा देता है , 3- यह हरित गैसों , बायोमास , अपशिष्ट लैंडफिल से अभिनव अपशिष्ट उपयोग के माध्यम से शून्य कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करता है और 4- साथ ही जैव आधारित उत्पादों के विकास को प्रोत्साहित करता है । रोजगार सृजन बढ़ाने पर जोर दिया गया है .

प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि नीति जैव – आधारित रसायनों , स्मार्ट प्रोटीन , सटीक बायोमेडिसिन , जलवायु – अनुकूल कृषि और कार्बन पृथक्करण सहित विभिन्न क्षेत्रों में उद्यमिता को प्रोत्साहित करती है ।

उन्होंने कहा कि यह अत्याधुनिक जैव विनिर्माण सुविधायें, बायो-फाउंड्री क्लस्टर और जैव-एआई हब स्थापित करती है।

मंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ जुड़ते हुये नैतिक जैव सुरक्षा विचारों और वैश्विक नियामकीय सामंजस्य पर नये सिरे से ध्यान दिया जा रहा है।

जैव विनिर्माण केन्द्रों के महत्व को समझते हुये डॉ. जितेन्द्र सिंह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि यह जैव-आधारित उत्पादों के उत्पादन, विकास और वाणिज्यिकरण के लिये एक केन्द्रीकृत सुविधा के तौर पर काम करेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘ये केन्द्र प्रयोगशाला-पैमाने और वाणिज्यिक-पैमाने के विनिर्माण के बीच के अंतर को पाटने, स्टार्ट अप, एसएमई और स्थापित विनिर्माताओं के बीच सहयोग बढ़ाने का काम करेंगे। ’’

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने स्पष्ट तौर पर कहा कि ये एमआरएनए- आधारित टीकों और प्रोटीन जैसे उत्पादों के बड़े पैमाने पर विनिर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे। उनहोंने विश्वास व्यक्त करते हुये कहा कि जैव-एआई केन्द्र एआई को बड़े पैमाने के जैविक डेटा विश्लेषण के साथ जोड़ने में नवाचार को आगे बढ़ायेंगे और इससे नई वंशाणु उपचार और खाद्य प्रसंस्करण समाधानों का मार्ग प्रशस्त होगा।

नीति के तहत रोजगार सृजन की संभावनाओं पर विशेष जोर देते हुये डा. जितेन्द्र सिंह ने कहा, ‘‘उम्मीद की जाती है कि इससे दूसरी और तीसरी श्रेणी के शहरों में, जहां जैव विनिर्माण केन्द्र स्थापित किये जायेंगे, रोजगार के व्यापक अवसर पैदा होंगे। इन विनिर्माण केन्द्रों में स्थानीय बायोमास संसाधनों का लाभ उठाया जायेगा जिससे कि उन क्षेत्रों का आर्थिक विकास भी तेज होगा।’’(साभारPIB)

Share it

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *