“बिम्सटेक” देशों के लिए एक उच्च स्तरीय कार्यशाला का आयोजन

National News

(नई दिल्ली)16जुलाई,2024.

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) के एक अधीनस्थ कार्यालय नेशनल सेंटर फॉर मीडियम रेंज वैदर फॉरकास्ट (एनसीएमआरडब्ल्यूएफ) 26 जुलाई, 2024 तक नोएडा में बिम्सटेक देशों के लिए दो सप्ताह की कार्यशाला का आयोजन कर रहा है। इस उच्च स्तरीय कार्यशाला में बिम्सटेक सदस्यों- बांग्लादेश, भूटान, भारत, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड की राष्ट्रीय जल विज्ञान और मौसम विज्ञान सेवाओं के प्रमुख अधिकारी उपस्थित रहेंगे। इस कार्यशाला का उद्घाटन पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) के अतिरिक्त सचिव और वित्त सलाहकार, श्री विश्वजीत सहाय द्वारा किया गया था। इसे डेटा आत्मसात करने और पूर्वानुमान सत्यापन तकनीकों में कौशल बढ़ाने और ज्ञान साझा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

एनसीएमआरडब्ल्यूएफ के प्रमुख डॉ. वी.एस. प्रसाद ने इस अवसर पर कहा कि “बिम्सटेक देशों में मौसम की स्थिति और समाज को मौसम संबंधी कुशल सेवाएं प्रदान करने की चुनौतियां एक समान हैं। यह कार्यशाला अंतर्राष्ट्रीय क्षमता निर्माण, ज्ञान साझाकरण और बिम्सटेक क्षेत्र में क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के प्रति हमारे समर्पण को दर्शाती है। बिम्सटेक (बहुक्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल) देश तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए एक आवश्यक क्षेत्रीय समूह के रूप में उभरे हैं। नेशनल सेंटर फॉर मीडियम रेंज वैदर फॉरकास्ट (एनसीएमआरडब्ल्यूएफ), नोएडा में मौसम और जलवायु के लिए बिम्सटेक केंद्र (बीसीडब्ल्यूसी), वैज्ञानिक और तकनीकी संसाधनों को समेकित करने में सहायता करने के साथ ही सभी सदस्य देशों के बीच क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक संस्थागत तंत्र स्थापित करता है।

बिम्सटेक कार्यशाला में परस्पर विचार-विमर्श सत्र (इंटरैक्टिव सेशन) और व्यावहारिक प्रशिक्षण मॉड्यूल शामिल हैं। क्षेत्र विशेषज्ञों के साथ इंटरैक्टिव सत्रों का उद्देश्य डेटा को आत्मसात करने और पूर्वानुमान सत्यापन तकनीकों की व्यावहारिक समझ एवं अनुप्रयोग को बढ़ावा देना है। व्यावहारिक प्रशिक्षण विशेष रूप से डब्ल्यूआरएफ (मौसम अनुसंधान और पूर्वानुमान) मॉडल और पूर्वानुमान सत्यापन में सीखने और कौशल को बढ़ाता है। इससे विशेष रूप से पूर्वानुमान, पूर्व चेतावनी प्रणाली और अवलोकन प्रणाली में मानव संसाधन क्षमता निर्माण और वैज्ञानिक ज्ञान साझा करने को बढ़ावा मिलेगा।(साभारPIB)

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