(नई दिल्ली)16नवंबर,2025.
भारत-चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से सटे पूर्वी सेक्टर में भारतीय सेना ने शनिवार को उच्चतम स्तर की संयुक्त सैन्य क्षमता दिखाते हुए एक्सरसाइज पूर्वी प्रचंड प्रहार का सफल आयोजन किया। यह युद्धाभ्यास कठिन पर्वतीय भूभाग, ऊंचाई वाले क्षेत्रों और शून्य से नीचे तापमान वाली परिस्थितियों में त्रि-सेवा समन्वय की शानदार मिसाल बनकर उभरा। भारतीय सेना के पूर्वी कमान प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल आरसी तिवारी ने अग्रिम मोर्चे पर जवानों का हौसला बढ़ाया।
रक्षा मंत्रालय के अधिकारी के मुताबिक इस अभ्यास में भारतीय थलसेना, वायुसेना, नौसेना और आईटीबीपी की संयुक्त कार्रवाई के ज़रिए यह साबित किया गया कि जटिल, बहु-डोमेन युद्धक्षेत्र में भारतीय सेनाएं एक एकीकृत कॉम्बैट टीम के रूप में किसी भी चुनौती का जवाब देने में पूरी तरह सक्षम हैं।
स्पेशल फोर्सेज की निर्णायक भूमिका
अभ्यास में स्पेशल फोर्सेज, मार्कोस, गरुड़, भैरव बटालियन और अरुणाचल स्काउट्स जैसी एलीट इकाइयों ने फोर्स मल्टीप्लायर की भूमिका निभाई। इन इकाइयों की त्वरित तैनाती, लक्ष्य भेदन क्षमता और विशेष कौशल ने युद्धाभ्यास के सामरिक प्रभाव को और अधिक धारदार बनाया।
अत्याधुनिक तकनीक का दमदार प्रदर्शन
अभ्यास में नई पीढ़ी की कई अत्याधुनिक तकनीकों की क्षमताओं का भी प्रदर्शन हुआ, नाइट-एनेबल्ड, ऑल-वेदर एफपीवीएस, स्वॉर्म ड्रोन सिस्टम, एडवांस्ड अनमैन्ड एरियल प्लेटफॉर्म, जो इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक स्पेक्ट्रम में संचालित हुए। इन सिस्टमों ने वास्तविक समय की निगरानी, सटीक लक्ष्य साधने और समन्वित फायर सपोर्ट उपलब्ध कराया। इन्हें जमीनी घेराबंदी, अटैक हेलीकॉप्टरों तथा कंपोजिट ‘दिव्यास्त्र बैटरी’ के साथ इंटीग्रेट कर युद्धक्षेत्र की मारक क्षमता को कई गुना बढ़ाया गया।
तेज मोबिलाइजेशन और त्रि-सेवा इंटरऑपरेबिलिटी
‘पूर्वी प्रचंड प्रहार’ ने दिखाया कि उत्तरी सीमाओं पर उभरते खतरों के बावजूद भारतीय सशस्त्र बल न केवल तेज़ी से मोर्चाबंदी कर सकते हैं, बल्कि बहु-क्षेत्रीय तालमेल के साथ पूरी तरह तकनीक-आधारित ऑपरेशंस को अंजाम देने में भी सक्षम हैं। यह अभ्यास भारत-चीन सीमा पर बदलते सामरिक परिदृश्य के बीच सैन्य तैयारियों का स्पष्ट संदेश देता है—भारतीय सेनाएं भविष्य की किसी भी चुनौती के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
ओड़िशा में तट पर भारतीय तटरक्षक बल का समुद्री और हवाई खोज एवं बचाव अभ्यास
भारतीय तटरक्षक बल के क्षेत्रीय मुख्यालय (उत्तर-पूर्व) द्वारा शुक्रवार और शनिवार पारादीप में क्षेत्रीय स्तर की समुद्री एवं एरोनॉटिकल सर्च एंड रेस्क्यू (एसएआर) कार्यशाला और सी एक्सरसाइज का सफल आयोजन किया। इस कार्यक्रम का समन्वय कमांडर कोस्ट गार्ड (ओडिशा) ने किया, जिसमें ओडिशा के विभिन्न एसएआर हितधारकों एवं संसाधन एजेंसियों ने सक्रिय भागीदारी निभाई। कार्यक्रम में ओएसडीएमए, जिला प्रशासन, पोर्ट प्राधिकरण, कस्टम विभाग, भारतीय नौसेना, मरीन पुलिस, ओडिशा पुलिस, सीआईएसएएफ, मत्स्य विभाग, वन विभाग और जिला स्वास्थ्य विभाग सहित कई एजेंसियों ने संयुक्त रूप से हिस्सा लिया।
पेशेवर एसएआर प्रोटोकॉल का प्रशिक्षण
भारत के विस्तृत समुद्री खोज एवं बचाव क्षेत्र के लिए राष्ट्रीय एसएआर सेवा प्रदाता होने के नाते तटरक्षक बल ने एनएम एसएआर बोर्ड के तहत इस कार्यशाला में प्रतिभागियों को एसएआर प्रोटोकॉल, तंत्र, प्रक्रियाएं, एसओपीएस की समझ और वास्तविक समय में समन्वय बढ़ाने पर विशेष रूप से प्रशिक्षित किया।कार्यशाला के दौरान टेबल-टॉप एक्सरसाइज भी आयोजित की गई, जिसमें विभिन्न काल्पनिक एसएआर स्थितियों का अनुकरण किया गया और सहभागी एजेंसियों की संयुक्त भूमिका का व्यावहारिक मूल्यांकन किया गया।
समुद्र में मास रेस्क्यू ऑपरेशन का प्रदर्शन
पारादीप तट के समीप आयोजित सी एक्सरसाइज में प्रमुख एजेंसी भारतीय तटरक्षक बल तथा सहयोगी बचाव एजेंसियों ने अपने संसाधनों का उपयोग करते हुए मास रेस्क्यू ऑपरेशन, मेडिकल ट्रायेज और समुद्री व हवाई बचाव तकनीकों का वास्तविक जैसी परिस्थितियों में प्रदर्शन किया। इस अभ्यास का उद्देश्य समुद्र में जीवन सुरक्षा को मजबूती प्रदान करना तथा सभी समुद्री व एरोनॉटिकल एसएआर एजेंसियों के बीच तालमेल को और अधिक प्रभावी बनाना रहा।(साभार एजेंसी)
