(देहरादून)13अक्टूबर,2025.
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल (केंद्रीय) विश्वविद्यालय के कर्मचारियों से जुड़ी विशेष अपीलों पर सुनवाई की. दरअसल, वर्षों से कार्यरत कर्मचारियों को एकलपीठ के द्वारा उनके पक्ष में दिए गए निर्णय के वाबजूद भी उन्हें नियमित नहीं करने के आदेश के खिलाफ विश्वविद्यालय की ओर से दायर करीब 40 विशेष अपीलों पर एक साथ सुनवाई हुई।
मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने विश्वविद्यालय की सभी अपीलों को निस्तारित करते हुए और एकलपीठ के द्वारा उनके पक्ष में दिए गए आदेश को संशोधित करते हुए कहा, जो कर्मचारी जिस विभाग में कार्य कर रहे हैं, उन्हें उसी पर नियमित किया जाए. जो कर्मचारी वर्षों से कार्यरत रहा है और उसके लिए विश्वविद्यालय में कोई पद सृजित नहीं है, उसके लिए नया पद सृजित किया जाए. क्योंकि वह कई वर्षों से अपनी सेवा देते आया है।
इसके अलावा, जिन लोगों को विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस दौरान विज्ञप्ति जारी करके नियमित किए हैं, उनकी भी एक वरिष्ठता सूची जारी करें. साथ में नियमित होने वाले कर्मचारियों की भी एक वरिष्ठता सूची जारी करें. चाहे कर्मचारी पहले नियमित हुआ हो या बाद में, चाहे वे कमीशन से आए हों या प्रमोशन से, वरिष्ठता के आधार पर ही उनको वरिष्ठता दी जाए. जिन पदों पर भर्ती अभी तक न हुई हो, उसको विश्वविद्यालय सृजित करें।
मामले के अनुसार, पूर्व में एकलपीठ ने सभी कर्मचारियों के मामले पर सुनवाई करते हुए कहा था कि, इनको वरिष्ठता के आधार पर नियमित किया जाए. लेकिन कोर्ट के आदेश होने के बाद भी उन्हें नियमित नहीं किया गया. न ही पूर्व से कार्यरत कर्मचारियों को नियमित किया गया. जो कर्मचारी पहले से कार्यरत थे, उनकी जगह नई विज्ञप्ति जारी कर उन्हें भर्ती कर दिया गया. अब वर्तमान में उनसे कनिष्ठ कर्मचारी, उनसे वरिष्ठ हो गए हैं. इसलिए उनकी भी वरिष्ठता सूची उसी दिन से गिनी जाए, जिस दिन से उन्होंने विश्वविद्यालय को सेवा दी है।
वहीं मामले पर 13 अक्टूबर को कोर्ट ने अहम फैसला देते हुए कहा कि, इसमें सर्वप्रथम एक कमेटी गठित की जाए. कमेटी सभी इस दौरान होने वाले नियमित कर्मचारियों का दस्तावेजों का अवलोकन करेगी. उसी के आधार पर उनकी वरिष्ठता सूची जारी करेगी और उन्हें 6 माह के भीतर उनके दस्तावेजों का अवलोकन करने के बाद अपना निर्णय लेगी।(साभार एजेंसी)
