( देहरादून )06अगस्त,2025.
उत्तराखंड राज्य के पर्वतीय और मैदानी जिलों में हो रही लगातार बारिश के चलते उत्तराखंड की कई प्रमुख नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। मंगलवार सुबह 6:00 बजे तक गंगा बेसिन की अलकनंदा, मंदाकिनी, भागीरथी और बंगंगा नदियों को केंद्रीय जल आयोग ने “गंभीर स्थिति” में बताया है। इन नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है, जिससे निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है।
रुद्रप्रयाग में अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों का बढ़ा जलस्तर:
रुद्रप्रयाग में अलकनंदा नदी 627.6 मीटर की ऊंचाई पर बह रही है, जो कि खतरे के स्तर 627.0 मीटर से 0.60 मीटर ऊपर है। हालांकि गिरावट (-400.02 मिमी/घंटा) का रुझान देखा गया है। यह 17 जून 2013 को आए जल प्रलय के समय रिकॉर्ड किए गए उच्चतम जलस्तर (634.85 मीटर) से 7.25 मीटर नीचे है।
वहीं, मंदाकिनी नदी गौरीकुंड में अपने खतरे के स्तर 1976.8 मीटर पर स्थिर बनी हुई है। यह अपने रिकॉर्ड HFL से महज 0.55 मीटर नीचे है। मंदाकिनी नदी रुद्रप्रयाग में भी 626.3 मीटर की ऊंचाई पर बह रही है, जो खतरे के निशान से 0.30 मीटर ऊपर है। हालांकि, यहां जलस्तर में भी गिरावट (-299.99 मिमी/घंटा) दर्ज की गई है।
हरिद्वार में बंगंगा नदी खतरे के निशान से ऊपर:
हरिद्वार जिले के रैसी क्षेत्र में बहने वाली बंगंगा नदी का जलस्तर 231.69 मीटर दर्ज किया गया है, जो खतरे के स्तर 231.0 मीटर से 0.69 मीटर ऊपर है। नदी में बढ़ोतरी (40.01 मिमी/घंटा) का रुझान बना हुआ है।
देवप्रयाग में भागीरथी नदी में भी खतरा बरकरार:
टिहरी गढ़वाल जिले के देवप्रयाग में भागीरथी नदी 464.3 मीटर की ऊंचाई पर बह रही है, जो कि खतरे के स्तर 463.0 मीटर से 1.30 मीटर अधिक है। हालांकि यहां जलस्तर फिलहाल स्थिर बना हुआ है।
प्रशासन अलर्ट मोड में,लोगों से एहतियात बरतने की अपील:
जिला प्रशासन ने संबंधित क्षेत्रों में निगरानी बढ़ा दी है और SDRF टीमों को सतर्क किया गया है। लोगों से अपील की गई है कि वे नदी किनारों पर न जाएं और प्रशासन द्वारा जारी एडवाइजरी का पालन करें। मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों में और अधिक बारिश की चेतावनी दी है, जिससे हालात और बिगड़ सकते हैं।
“उत्तराखंड अभ्युदय” समाचार पोर्टल की लोगों से अपील:
नदी किनारे रहने वाले लोगों से देवभूमि खबर की अपील है कि वे पूरी तरह सतर्क रहें और किसी भी स्थिति में नदियों के करीब न जाएं। प्रशासन की ओर से जारी चेतावनियों और दिशा-निर्देशों का पालन करें। स्थानीय आपदा प्रबंधन टीम, पुलिस एवं SDRF की सहायता लें।छोटा सा लापरवाह कदम ,बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकता है।