(नई दिल्ली ) 08 जुलाई,2025.
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और सीएसआईआर के उपाध्यक्ष डॉ. जितेंद्र सिंह ने राजधानी स्थित सीएसआईआर-इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (आईजीआईबी) में अत्याधुनिक फेनोम इंडिया ‘‘नेशनल बायोबैंक’’ का उद्घाटन किया।
यह नई सुविधा भारत का अपना अनुदैर्ध्य स्वास्थ्य डेटाबेस बनाने और भविष्य में व्यक्तिगत उपचार व्यवस्था को सक्षम बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
बायोबैंक पूरे भारत में 10,000 व्यक्तियों से व्यापक जीनोमिक, जीवनशैली और नैदानिक डेटा एकत्र करते हुए एक राष्ट्रव्यापी कोहोर्ट अध्ययन की रीढ़ की हड्डी के रूप में काम करेगा। यूके बायोबैंक मॉडल से प्रेरणा लेते हुए, भारतीय संस्करण को देश की भूगोल, जातीयता और सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि में अनूठी विविधता को समझने के लिए तैयार किया गया है। शोधकर्ताओं का मानना है कि यह पहल प्रारंभिक निदान में सहायता करेगी, चिकित्सीय लक्ष्यीकरण में सुधार करेगी और मधुमेह, कैंसर, हृदय संबंधी बीमारियों और दुर्लभ आनुवंशिक विकारों जैसी जटिल बीमारियों के खिलाफ लड़ाई को सुदृढ़ करेगी।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने आईजीआईबी में वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘आज, हम एक ऐसे भविष्य का वादा करते हैं, जहां हर भारतीय को उसकी आनुवंशिक संरचना, जीवनशैली और पर्यावरण के अनुरूप व्यक्तिगत उपचार मिल सकता है।’’ ‘‘व्यक्तिगत स्वास्थ्य सेवा में यह बदलाव अब सैद्धांतिक नहीं रह गया है – यह स्वदेशी नवाचारों द्वारा संचालित वास्तविकता बन रहा है।’’
भारतीयों के सामने आने वाली अनूठी स्वास्थ्य चुनौतियों पर विचार करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने केंद्रीय मोटापे की उच्च व्यापकता पर ध्यान दिया, जो एक जोखिम कारक है जिसे अक्सर कम करके आंका जाता है। उन्होंने पिछले शोध पर प्रकाश डाला, जिसमें दिखाया गया है कि दुबले-पतले दिखने वाले भारतीयों की कमर के आसपास असमान चर्बी हो सकती है, जो जनसंख्या-विशिष्ट स्वास्थ्य रणनीतियों की आवश्यकता को रेखांकित करता है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी परिस्थितियाँ जटिल और अत्यधिक विषम हैं। यहीं पर बायोबैंक महत्वपूर्ण हो जाता है – यह हमें उस जटिलता को समझने में मदद करता है।’’(साभार एजेंसी)