उ.प्र.की राज्यपाल आनंदी बेन पहुंचीं महाकुंभ,संतों से लिया आशीर्वाद

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(प्रयागराज UP)23जनवरी,2025.

महाकुंभ में गुरुवार को अरैल स्थित परमार्थ निकेतन शिविर में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने पहुंचकर राष्ट्र संत मोरारी बापू का आशीर्वाद लिया। राज्यपाल ने बापू और अन्य संतों का अभिनंदन करते हुए कहा कि प्रयागराज, त्रिवेणी संगम पर बापू के मुख से राम जी का चरित्र व रामायण सुनना सौभाग्य की बात है। आज बापू ने प्रभु श्रीराम और उनके भाइयों के नामकरण की सुंदर व्याख्या की। हमें भी अपने बच्चों का नामकरण ऐसी दिव्यता के साथ करना चाहिए।

राज्यपाल ने 9 से 14 वर्ष की बेटियों को वैक्सीनेशन लगाने का आह्वान किया। कहा कि दो वैक्सीनेशन लगवाकर हम अपनी बेटियों को सर्वाइकल कैंसर से बचा सकते हैं। वर्तमान समय में सर्वाइकल कैंसर बढ़ते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम शराब, गुटका, मसाला खाने में पैसे खर्च करते हैं, लेकिन बेटियों को वैक्सीनेशन लगाने की बात आती है तो हम उनके लिए पैसे खर्च नहीं करना चाहते। हमारे अंदर सेवा का भाव होना चाहिए कि हमारे आसपास जो बच्चे हैं, वे टीबी या अन्य बीमारियों से ग्रस्त न हों।

इस मुहिम में हम सभी को लगना होगा। उन्होंने जेल भ्रमण के अनुभव को साझा करते हुए कहा कि जब भी मैं जेल का भ्रमण करती हूं या फाइल पढ़ती हूं तो मुझे लगता है, क्या हम दहेज प्रथा को नहीं छोड़ सकते। जितने भी कैदी आज जेल में हैं, उनमें 80 प्रतिशत दहेज के कारण हैं। अगर हम दहेज प्रथा छोड़ दें, तो हमारी बेटियों को बचाया जा सकता है।

संपत्ति कार्ड से लोगों को मिलेगी सहूलियत:
आज पूरे देश में यह मुहिम चलाई जा रही है कि अपनी संपत्ति अपने पास हो, संपत्ति का कार्ड अपने पास हो और यह कार्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरे देश में करवा रहे हैं। स्वामित्व कार्ड जनता को दिया जा रहा है, क्योंकि जमीन के लिए भाई-भाई, पिता-पुत्र के बीच विवाद होते हैं, जिससे लोग जेल में जा रहे हैं। हमारी सोच ऐसी होनी चाहिए कि जान चली जाए परंतु जमीन न जाए, इसलिये हमें उदारता से माता-पिता के साथ विचार विमर्श से समझौता करना चाहिए। मैंने बापू की कई कथाएं सुनी हैं, बापू की कथा समाज को स्वच्छ करने के लिए हैं।

राज्यपाल ने कहा कि थर्ड जेंडर के लिए न तो स्कूल हैं, न पढ़ाई है, लेकिन बापू उनसे मिलते हैं, उनकी बातों को सुनते हैं। मैंने संकल्प लिया था कि जब भी मैं महाकुंभ में जाऊंगी तो उनसे मिलूंगी। हम सब को मिलकर थर्ड जेंडर की शिक्षा और स्वास्थ्य के विषय में कार्य करना होगा। इस अवसर पर उन्होंने स्वच्छता कर्मियों की सेवा की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि 144 वर्षों के बाद ऐसे दिव्य महाकुंभ का सौभाग्य हमें मिला है, उसका लाभ उठाएं और यहां से संकल्प लेकर जाए।

प्रयाग का प्रयोग पूरे विश्व के लिए योग:

मोरारी बापू जी ने कहा कि महाकुंभ के दिव्य अवसर पर प्रयाग में प्रयोग किया जा रहा है। प्रयाग का प्रयोग पूरे विश्व के लिए योग है। प्रयाग का जो स्वभाव है, वैसे ही प्रयाग पुरुष विश्व का संयोग करा सकते हैं। जिसके जीवन में न ठंड हो, न ताप हो, वही व्यक्तित्व संगम करा सकता है। वर्तमान समय में क्लबवासी, कल्पवासी बन रहे हैं, यह भी एक प्रयोग है। बापू जी ने कहा कि रामचरित्र मानस ज्ञान मार्ग है, विज्ञान मार्ग है, परंतु सबसे पहले ये श्रद्धा और आस्था का विषय है। महाकुंभ का दिव्य दर्शन केवल श्रद्धा का दर्शन है। श्रद्धा ही है जिसके दिव्य दर्शन हमें महाकुंभ में हो रहे हैं। विश्वास और श्रद्धा से ही भरोसे का जन्म होता है। कथा हमें अर्थ, धर्म का अर्थ और परमार्थ का अर्थ प्रदान करती है।

बापू ने कहा कि साधु के नेत्रों में अमृत होता है, साधु के वचनों में अमृत होता है, जिसमें मुख से निरंतर राम नाम निकलता है, उनके होठों में अमृत होता है और जिसके होठों में अमृत होता है, उससे बड़ा कोई श्रंगार नहीं है। मानस में 15 अमृतों की चर्चा की गई है। महाकुंभ की धरती पर अमृत की कुछ बूंदें गिरीं, परंतु मानस कथा से निरंतर अमृत झलक रहा है। मलूकपीठाधीश्वर श्री राजेंद्र दास जी महाराज ने कहा कि श्रीरामचरित्र मानस जी साक्षात प्रभु श्रीराम का चरित्र है, श्रीराम जी का विग्रह है।

बापू बोले- भगवान राम कर्ता भी हैं और नियंता भी:

मोरारी बापू ने ऐसे-ऐसे क्षेत्रों में भी श्रीराम कथा को पहुंचाया जहां पहुंचना संभव नहीं था। प्रभु श्रीराम कर्ता भी हैं और नियंता भी हैं। हम सभी का सौभाग्य है कि पूज्य बापू जी के श्रीमुख से हमें कथा श्रवण करने का अवसर प्राप्त हो रहा है। तीर्थराज प्रयाग में पूज्य बापू प्रयाग का प्रयाग में संगम हैं। संगम में स्नान से देह का स्नान होगा और बापू मानस कथा के माध्यम से सत्य, प्रेम और करूणा में स्नान करा रहे हैं।

स्वामी चिदानंद सरस्वती जी ने कहा कि आज का दिन अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि आज आज़ादी की बिगुल बजाने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी की जयंती है। उन्होंने कहा कि महापुरुष कभी जाते नहीं, वे सदैव हमारे बीच में अपने कार्यों और विचारों से जीवंत और जागृत बने रहते हैं। कई बार हमें अपने शरीर से आज़ादी प्राप्त होती है, परंतु मन गुलाम बना रहता है। सत्संग और कथाएँ हमें मन की गुलामी से आज़ादी प्रदान करती हैं।

कथाएं हमें स्वयं से भी वैराग्य प्रदान करती हैं। कथाएं,शरीर की गुलामी और मन की गुलामी से हमें मुक्ति प्रदान करती हैं। कथाएं, हमारे आने और जाने की यात्रा से भी मुक्ति प्रदान करती हैं। आचार्य लोकेश मुनि जी ने सभी पूज्य संतों का अभिनंदन करते हुए कहा कि बापू की कथा शांति का स्रोत रूपी अमृत है। पूज्य स्वामी जी ने सभी विशिष्ट अतिथियों को रुद्राक्ष का पौधा और इलायची की माला भेंट कर सभी का अभिनंदन किया।(साभार एजेंसी)

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