दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री धामी का दिखा जलवा

Uttarakhand News

(देहरादून)09फरवरी,2025.

दिल्ली विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का सघन चुनाव प्रचार और दौड़-धूप रंग लाई है। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें दिल्ली चुनाव में स्टार प्रचारक बनाया था। धामी ने पार्टी के 23 प्रत्याशियों के समर्थन में 52 चुनावी सभाएं और रोड शो किए। इनमें से 18 उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की। इस तरह धामी के प्रचार वाली 78 फीसदी सीटों पर भाजपा जीती।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि दिल्ली विधानसभा चुनावों में भी सीएम धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के विश्वास को बनाए रखने में कामयाब रहे। उत्तराखंड में डबल इंजन की सरकार के फायदे गिनाने के साथ ही उन्होंने केजरीवाल सरकार पर हमलावर रुख भी अख्तियार किया। नई दिल्ली विधानसभा सीट पर धामी ने भाजपा प्रत्याशी प्रवेश साहिब सिंह वर्मा के समर्थन में भी प्रचार किया था।

इन प्रत्याशियों के लिए किया था प्रचार:

कस्तूरबा नगर से नीरज बसाया, मोतीनगर से हरीश खुराना, शालीमार बाग से रेखा गुप्ता, आरके पुरम से अनिल शर्मा, ग्रेटर कैलाश से शिखा राय, पटपड़गंज से रविंद्र सिंह नेगी, करावल नगर से कपिल मिश्रा, रिठाला से कुलवंत राणा, द्वारिका से प्रद्युम्न राजपूत, नजफगढ़ से नीलम पहलवान, मटियाला से संदीप सहरावत, लक्ष्मी नगर से अभय वर्मा, संगम विहार से चंदन कुमार चौधरी,
उत्तमनगर से पवन शर्मा, पालम से कुलदीप सोलंकी, वजीरपुर से पूनम शर्मा और बवाना से रविंद्र इंद्राज सिंह ने जीत हासिल की है। इन सभी प्रत्याशियों के समर्थन में सीएम धामी की चुनावी सभाएं और रोड शो किए थे।
इस सीट से वर्मा ने अरविंद केजरीवाल को शिकस्त दी।

मुख्यमंत्री धामी ने समान नागरिक संहिता लागू करने की बात भी दिल्ली के मतदाताओं के सामने जोर-शोर से रखी। इस तरह सीएम धामी यूसीसी को लेकर राष्ट्रीय राजनीति में एक बड़ा चेहरा बनकर उभरे हैं। साथ ही भाजपा हाईकमान का विश्वास भी उन पर और गहरा हुआ है। राजनीतिक जानकारों
का मानना है कि राष्ट्रीय राजनीति में मुख्यमंत्री धामी का कद लगातार बढ़ रहा है। उत्तराखंड में देवभूमि के सनातन स्वरूप को बनाए रखने के साथ युवाओं की खातिर कठोर फैसले लेकर सीएम धामी ने पूरे देश में अपनी अलग पहचान बनाई। नकलरोधी, धर्मांतरण विरोधी, दंगारोधी कानून, अतिक्रमण मुक्त अभियान जैसे उनके फैसलों को सराहा गया है।

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