पंचायत चुनाव:मुख्यमंत्री धामी का राजनैतिक कौशल व संगठन की सफल रणनीति

Uttarakhand News

(देहरादून)15अगस्त,2025.

उत्तराखंड में अभी अभी संपन्न हुए पंचायत चुनाव के नतीजों में कई नेता फेल हो गए। कुछ नेता अपने खून की राजनीति में धमाकेदार एंट्री करवा गए। कई युवाओं विशेषकर महिलाओं ने चौंकाया। और फाइनल बाजी एक बार फिर सीएम धामी के पक्ष में रही।

विधानसभा उपचुनाव, लोकसभा, नगर निकाय के बाद अब पंचायत चुनाव में भी भाजपा ने जीत हासिल की।

गुरुवार को आए जिला पंचायत के नतीजों में 12 में से 10 सीटों पर भाजपा का कब्जा रहा। इनमें 5 सीटों पर पार्टी प्रत्याशी पहले ही निर्विरोध विजयी हो चुके थे। रुद्रप्रयाग, बागेश्वर, चमोली, पौड़ी और अल्मोड़ा में जीत दर्ज की गई, जबकि उत्तरकाशी, चंपावत, टिहरी, पिथौरागढ़ और ऊधम सिंह नगर में पहले ही सफलता मिल चुकी थी। नैनीताल में मतगणना पुनः होनी है, जबकि हरिद्वार की सीट पहले से भाजपा के पास है।

देहरादून जिला पंचायत अध्यक्ष पर कांग्रेस ने भाजपा से कुर्सी छीनकर दबदबा बनाया। यह जीत कांग्रेसी संजीवनी मानकर चल रहे हैं। इस सीट पर निवर्तमान जिपं अध्यक्ष मधु चौहान एक बार फिर चुनाव नहीं जीत सकीं।

यह भाजपा के विधायक मुन्ना चौहान के लिए बड़ा झटका है। दून के परिणाम ने यह भी साबित कर दिया कि चकराता क्षेत्र में प्रीतम सिंह का ही डंका बजता है।

ब्लॉक प्रमुख और ग्राम प्रधान में भी भारी बढ़त:

ब्लॉक प्रमुख के 89 पदों में से 75 प्रतिशत से अधिक भाजपा ने अपने नाम किए, वहीं ग्राम प्रधान के चुनाव में भी पार्टी ने 85 प्रतिशत सीटों पर कब्जा जमाया। पहाड़ी क्षेत्रों में भाजपा का प्रदर्शन विशेष रूप से दमदार रहा।

पंचायत चुनाव में निर्दलीयों ने भी काफी दम।दिखाया। युवाओं में 21 साल की प्रियंका नेगी, इशिता सजवाण, ईशा समेत उच्च शिक्षित कई लड़कियों ने पंचायत चुनाव में शानदार एंट्री ली। इसके अलावा कई निर्दलीयों को अपने पाले में खींचकर भाजपा ने विपक्षी दल कांग्रेस की रणनीति को विफल भी किया।

प्रीतम सिंह के बेटे अभिषेक सिंह की राजनीति में लांचिंग शानदार तरीके से हुई। उधर,कांग्रेस के पूर्व विधायक रंजीत रावत अपनी बहू को ब्लाक प्रमुख व बेटे को भी जिता ले गए। जबकि भाजपा के अधिकतर नेताओं की पत्नी व अन्य सगे सम्बन्धी चुनाव हार गए। पूर्व स्पीकर गोविंद कुंजवाल, विधायक दिलीप रावत ,राम सिंह कैडा समेत कुछ अन्य नेता पंचायत चुनाव में फेल हो गए।

नैनीताल और बेतालघाट की घटनाएं शांतिपूर्ण चुनाव में एक बदनुमा दाग लगा गयी।

भाजपा प्रवक्ता सुनीता विद्यार्थी का कहना है कि यह जीत 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले का सेमीफाइनल है, जो साफ संकेत देता है कि जनता भाजपा की नीतियों और धामी के नेतृत्व को ही विकास का रास्ता मान रही है।
उन्होंने कहा कि यह परिणाम विपक्ष के लिए साफ चेतावनी है कि आने वाले चुनावी महासंग्राम में फिर भाजपा जीतेगी।

हालांकि, अभी नैनीताल का मुकाबला बाकी है। हाईकोर्ट ने फिर से मतदान के आदेश दिए हैं। बहरहाल, गुरुवार को आये नतीजों में भाजपा ने दून को खोते हुए बाकी जिलों के गांव की सरकार बना ली है। पंचायत चुनाव में जनता के रुख को भांपते हुए 2027 की बिसात पर गोटियां बिछनी भी शुरू हो गयी है।

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