(प्रयागराज UP)14दिसम्बर,2024.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से 5500 हजार करोड़ की 167 परियोजनाओं का लोकार्पण किया गया। इनमें 11 काॅरिडोर और 29 मंदिरों का उल्लेख किया गया है। खास ताैर पर प्रयागराज में अक्षयवट, हनुमान मंदिर, भरद्वाज आश्रम और शृंगवेरपुर काॅरिडोर धर्म अध्यात्म और पर्यटन को नई दिशा देंगे। माना जा रहा है कि महाकुंभ में नवनिर्मित काॅरिडोर प्रयागराज में श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र होंगे।
अक्षय वट पर शीश नवाकर पीएम ने की जनकल्याण की कामना:
अक्षयवट काॅरिडोर पहुंचे पीएम नरेंद्र मोदी ने शीश नवाकर जनकल्याण की कामना की। पूजन अर्चन के साथ ही उन्होंने अक्षयवट की परिक्रमा की और कॉरिडोर में हुए कार्यों को भी बारीकी से देखा। उन्होंने समस्त तीर्थों का आवाहन करते हुए सकल मंगलकामनाओं की पूर्ति के लिए आस्था का दीप जलाया।
विदित हो कि अक्षय वट को तीर्थराज प्रयागराज के रक्षक वेणी माधव का साक्षात स्वरूप माना जाता है। 2019 में कुंभ के दाैरान प्रयागराज आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयास से ही अक्षयवट को आम श्रद्धालुओं के लिए खोला जा सका है और अब 18 करोड़ की लागत से यह भव्य काॅरिडोर बनकर तैयार हुआ है। खास बात यह है कि अक्षयवट काॅरिडोर से ही सरस्वती कूप और पातालपुरी मंदिर को भी जोड़ा गया है।
सरस्वती कूप की भी परिक्रमा कर मोदी ने दुग्धाभिषेक किया। पुराणों में मां गंगा, यमुना और अदृश्य मां सरस्वती की त्रिवेणी संगम का होना बताया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, सरस्वती कूप वह पुण्य स्थान है, जहां आज भी मां सरस्वती के दुर्लभ दर्शन संभव हैं। इसके अलावा पातालपुरी मंदिर को भी काॅरिडोर से जोड़ा गया है, जहां प्राचीन शिवलिंग स्थापित है।
प्रभु श्रीराम, माता जानकी व लक्ष्मण सहित ब्रह्मा, विष्णु महेश की होती है पूजा-अर्चना:
अक्षय वट को लेकर मान्यता है कि इसकी जड़ों में सृष्टि निर्माता ब्रह्मा, मध्य भाग में वेणी माधव स्वरूप श्रीहरि विष्णु तथा अग्र भाग में महादेव शिव-शंकर का वास है। इनकी पूजा के साथ ही समुद्र मंथन से प्राप्त 14 रत्नों में कल्पवृक्ष के अंश के रूप में भी अक्षय वट की मान्यता है। पुराणों में प्राप्त उल्लेख के अनुसार, सर्व सिद्धि प्रदान करने वाली आध्यात्मिक शक्ति के केंद्र के तौर पर प्रसिद्ध अक्षय वट ने मुगल काल व अंग्रेजों के शासन में पराभव का दंश झेला।
इसके बावजूद वह अक्षुण्ण बना रहा। मान्यता है कि प्रभु श्रीराम ने लंका विजय के उपरांत अयोध्या लौटने से पूर्व पुष्पक विमान से आते हुए अक्षय वट के दर्शन किए थे। उनके साथ माता सीता और भ्राता लक्ष्मण भी थे और अक्षय वट पर इन तीनों के ही विग्रह का पूजन होता है। पीएम मोदी के साथ ही अक्षय वट पूजन-अर्चन प्रक्रिया में सीएम योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी उपस्थित रहीं।
बड़े हनुमान मंदिर के श्रीचरणों में नतमस्तक पीएम मोदी:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीर्थराज प्रयागराज स्थित बड़े हनुमान मंदिर में जाकर प्रभु हनुमान के श्रीविग्रह के आगे शीश झुकाकर विधिवत पूजन-अर्चन किया। उन्होंने जलाचमन, सिंदूर-लाल चंदन, नैवेद्य व माला अर्पण कर सनातन शक्ति के जागरण का आह्वान किया। उन्होंने धूप-दीप अर्पण के साथ ही रुद्राक्ष की माला भी प्रभु बड़े हनुमान के श्रीचरणों में अर्पित की।
बड़े हनुमान मंदिर में प्रभु के श्रीचरणों में बैठकर प्रधानमंत्री मोदी ने विधिवत पूजन किया। इस दौरान बड़े हनुमान मंदिर के महंत तथा श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलबीर गिरि ने प्रधानमंत्री मोदी की पूजा अर्चना को पूर्ण कराया। इस दौरान उन्होंने बड़े हनुमान को यज्ञोपवीत भी अर्पित किया और आरती उतारी। मंदिर की ओर से मोदी को प्रभु हनुमान के आशीर्वाद स्वरूप रुद्राक्ष की माला और अंगवस्त्र प्रदान किया।
पूजा अर्चना के साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने बड़े हनुमान मंदिर के नवनिर्मित कॉरिडोर का भी निरीक्षण किया। फिलहाल 38.19 करोड़ की लागत से बनने वाले काॅरिडोर के पहले चरण का कार्य चल रहा है, जबकि दूसरे चरण का कार्य महाकुंभ के बाद किया जाना है। ऐसे में प्रधानमंत्री ने 3डी मॉडल देखकर लेआउट संबंधी विभिन्न पहलुओं के बारे में भी विस्तार से चर्चा की। माैके पर सीएम योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल तथा डिप्टी सीएम केशव मौर्य व ब्रजेश पाठक भी उपस्थित रहे।
मकरध्वज के भी होते हैं श्रीविग्रह में दर्शन:
बड़े हनुमान मंदिर में स्थापित प्रतिमा कई मायनों में विशिष्ट है। इस मूर्ति के दाहिने हाथ में गदा है। इससे काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद आदि विकारों को नष्ट करने का भाव लिया जाता है। मूर्ति के बाएं कंधे पर राम-लक्ष्मण हैं, जिससे हृदय में उनकी दृढ़ धारणा का भाव लिया जाता है। मूर्ति के दोनों नेत्र विशेष रूप से खुले हुए हैं जो जागृत होने का भाव प्रदर्शित करते हैं।
दाएं पैर के पास उनके पुत्र मकरध्वज की मूर्ति है, जिन्हें अधोपाताल लोक का रक्षक बताया गया है। मकरध्वज के दर्शन एवं धारणा से अधोगामी विचारों से रक्षा होती है। बड़े हनुमान जी का बायां पैर उठा हुआ है जिसे अहिरावण वध तथा अधोलोक से ऊर्ध्व लोक में जाने और अधोगामी विचारों के शमन अथवा दमन की प्रेरणा से जोड़कर देखा जाता है।
शृंगवेरपुर :निषादराज को गले लगाते प्रभु श्रीराम की प्रतिमा:
जनपद मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित शृंगवेरपुर धाम वह पावन स्थली है, जहां प्रभु श्रीराम ने पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ वन गमन के दाैरान रात्रि विश्राम किया था। अगले दिन शृंगवेरपुर के राजा निषादराज की मदद से ही उन्होंने गंगा पार किया था। अब 25 करोड़ की लागत से सरकार ने इसे काॅरिडोर के रूप में विकसित किया है। यहां निषादराज को गले लगाते प्रभु श्रीराम की 56 फुट ऊंची प्रतिमा श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र होगी। विदित हो कि पहले प्रधानमंत्री को शृंगवेरपुर धाम भी जाना था, लेकिन बाद में इसके वर्चुअली लोकार्पण का निर्णय लिया गया।
विदित हो कि श्रृंगवेरपुर का नाम इस क्षेत्र में श्रृंगी ऋषि की तपोस्थली होने के कारण पड़ा है। रामायण में इस क्षेत्र का वर्णन प्रभु श्रीराम और उनके बालसखा निषादराज के मिलन स्थल के रूप में भी है। यहां से ही केवट निषादराज ने प्रभु श्रीराम को नाव से गंगा पार करा कर प्रयागराज पहुंचाया था।
भारद्वाज ऋषि आश्रम कॉरिडोर यानी विश्व का सबसे पहला विवि:
ऋग्वेद की ऋचाओं के द्रष्टा ऋषि भरद्वाज का आश्रम प्रयागराज में अवस्थित है। रामायण में वर्णन है कि प्रभु श्रीराम वनगमन के पहले माता सीता और लक्ष्मणजी के साथ भरद्वाज ऋषि का आशीर्वाद और मार्गदर्शन लेने आये थे। भरद्वाज आश्रम में रामायण काल में हजारों छात्र अध्ययन करते थे। मान्यता के अनुसार, ये विश्व का सबसे पहला विश्वविद्यालय माना जाता है।
यह आश्रम विमान अनुसंधान और निर्माण का भी केंद्र रहा है। माना जाता है कि कुबेर का पास जो पुष्पक विमान था उसका निर्माण इसी आश्रम में हुआ था, जिसे बाद में रावण ने ले लिया। अब यहां योगी सरकार ने विमानन केंद्र बनाने की योजना तैयार की है। मुख्य पुजारी कलानिधि गोस्वामी के अनुसार इसी स्थान पर ऋषि याज्ञवल्क्य ने तीन दिन तक भरद्वाज मुनि को राम कथा सुनाई थी।
महाकुंभ से पहले भरद्वाज आश्रम को 13.35 करोड़ की लागत से कॉरिडोर के रूप में विकसित किया गया है। यहां भरद्वाज मुनि की विशालकाय प्रतिमा और लाल पत्थर की दीवारें तथा उन पर उकेरी गई आकृतियां आकर्षण का केंद्र हैं(साभार एजेंसी)