वर्ष 2026 के अंत तक ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक पहुंच जाएगी ट्रेन

Uttarakhand News

(देहरादून)23नवम्बर,2024.

रेल विकास निगम लि. (आरवीएनएल) के अधिकारियों का दावा है कि वर्ष 2026 के अंत तक ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन पर ट्रेन दौड़ने लगेगी। रेलवे लाइन पर दो बड़े पुलों का निर्माण कार्य अगले वर्ष अगस्त तक पूर्ण कर लिया जाएगा। पूरी परियोजना में 19 पुल हैं, जिनमें से पांच बन कर तैयार हो चुके हैं। वहीं सुरंगों की खोदाई का कार्य 86 फीसदी पूर्ण हो चुका है।

आरवीएनएल के मुख्य परियोजना प्रबंधक अजीत यादव ने कार्यालय परिसर में पत्रकारों से वार्ता की। उन्होंने बताया कि मुख्य टनलों की कुल लंबाई 104 किमी है, जिसमें से 85 किमी खोदाई कार्य पूर्ण हो चुका है। सहायक टनलों सहित कुल लंबाई 213 किमी है, जिसमें से 184 किमी की खोदाई हो चुकी है।

सुरंगों के कुल 46 ब्रैक थ्रू (आर-पार) होने थे, जिसमें 28 हो चुके हैं। 10 ब्रैक थ्रू अगले वर्ष मार्च तक और हो जाएंगे। दिसंबर 2025 तक शेष ब्रैक थ्रू भी कर लिए जाएंगे। यादव ने कहा कि दो बड़े पुलों के निर्माण में समय लग रहा है।

देवप्रयाग-सौड़ में 125 मीटर स्पान का पुल बन रहा है। इस पुल की लॉन्चिंग जनवरी माह में कर दी जाएगी। वहीं गौचर में भी 80 मीटर स्पान का पुल निर्माण हो रहा है। इन दोनों पुलों का निर्माण अगस्त माह तक पूर्ण कर लिया जाएगा।

कुल 19 पुलों में से पांच बन कर तैयार:
पूरी परियोजना में 19 बड़े पुल हैं। जिनमें से ढालवाला, शिवपुरी, गूलर, लक्ष्मोली, श्रीनगर बन कर तैयार हो चुके हैं। पुलों का निर्माण कार्य भी करीब 70 फीसदी पूर्ण हो चुका है।

सुरंगों के अंदर बनेगा बिना गिट्टी वाला ट्रैक:
सुरंगों के अंदर बिना गिट्टी वाला ट्रैक बनेगा। सीपीएम यादव ने बताया कि इसके लिए टेंडर प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है। ट्रैक का डिजाइन दिसंबर माह तक तैयार कर लिया जाएगा। अगले वर्ष जनवरी माह से ट्रैक का कार्य शुरू कर दिया जाएगा। जबकि सुरंग के बाहर वाले क्षेत्र में गिट्टी वाला ट्रैक ही बनेगा।

टनल संख्या पांच का काम समय पर पूर्ण करना चुनौती:
रेलवे विकास निगम के समक्ष टनल संख्या पांच (कोडि़याला से पंतगांव) की खोदाई निर्धारित समय पर करना एक बड़ी चुनौती है। साकनी धार क्षेत्र में एडिट न मिलने के कारण इस सुरंग की खोदाई सिर्फ दो छोरों से ही की जा रही है। जिससे यहां कार्य की गति काफी धीमी है। वहीं सुरंग की खोदाई धरातल से करीब एक किमी से अधिक नीचे की जा रही है। जिससे यहां मलबे का दबाव अधिक है। इसलिए पूरे एहतियात के साथ धीरे-धीरे खोदाई की जा रही है(साभार एजेंसी)

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