(देहरादून)31जुलाई,2024.
प्राप्त हुई जानकारी के अनुसार उत्तराखंड के चमोली जनपद में लगने जा रहे “जियोथर्मल एनर्जी प्लांट” के मध्य नजर सचिव ऊर्जा के नेतृत्व में विभागीय तकनीकी दल आइसलैंड पहुंचा है। बता दें की उत्तराखंड में जियोथर्मल एनर्जी पर आइसलैंड के साथ मिलकर काम होगा। आइसलैंड में जियोथर्मल एनर्जी क्षेत्र में हुए कार्य को देखने उत्तराखंड से एक दल रवाना हो गया है जो किस तरह बिजली उत्पादन किया जा सकता है की संभावना को तलासेंगे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में सबसे पहले बद्रीनाथ क्षेत्र में जियोथर्मल एनर्जी पर काम होगा।
मीडिया से हुई वार्ता के दौरान सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया की उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों के गर्म पानी के कुंडों का सर्वे एक टीम पूर्व में ही कर चुकी है इसके बाद अब उत्तराखंड के इन कुंडों को जियोथर्मल पावर प्लांट के लिए उपयुक्त माना गया है। जल्द ही इस संबंध में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में MOU किए जाएंगे।
जियोथर्मल एनर्जी क्या है:
जियोथर्मल एनर्जी एक तरह की रिन्यूएबल एनर्जी है जो धरती की सतह के नीचे ड्यूटी ऊष्मा से प्राप्त होती है। या उसका धरती के निर्माण और खनिजों के रेडियोएक्टिव डीकंपोजिशन यानी क्षय से पैदा होती है। सक्रिय जियोथर्मल क्षेत्र में ऊष्मा गरम पानी या बाप पैदा करती है। इसका इस्तेमाल बिजली पैदा करने की खातिर टरबाइन को चलाने के लिए किया जा सकता है । इस भाव का इस्तेमाल आगे इमारत को गर्म करने खेती करने या गर्म पुलों को पानी देने के लिए किया जा सकता है।जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन सकता है।(साभार)