उत्तराखंड में पहली बार “इन तीन उच्च पदों” पर आसीन हैं महिलाएं

Uttarakhand News

(देहरादून) 05फरवरी,2024. यूं तो उत्तराखंड में मातृशक्ति हमेशा से बेहद अहम रही है। चाहे वो राज्य निर्माण का आंदोलन रहा हो या फिर सामाजिक व्यवस्था। उत्तराखंड की महिलाएं हर क्षेत्र में अग्रणी रही हैं। वर्तमान समय में उत्तराखंड के तीन बड़े और अहम पदों पर महिलाओं की नियुक्ति ने इस राज्य में महिला शक्ति को अब एक नई उर्जा और आशा दी है। नारीशक्ति की आशाओं और आकांक्षाओं को नई और अनूठी पहचान दी है।

उत्तराखंड की “पहली महिला विधानसभा अध्यक्ष” ऋतु खंडूरी:

उत्तराखंड की बाइस सालों की आयु में पहली बार उत्तराखंड विधानसभा की कमान एक महिला के हाथों में आई। साल 2022 में हुए विधानसभा चुनावों के बाद बीजेपी सत्ता में आई और बीजेपी विधायक ऋतु खंडूरी को विधानसभा का अध्यक्ष चुना गया। इसी के साथ ऋतु खंडूरी राज्य की पहली महिला विधानसभा अध्यक्ष बन गईं। ऋतु खंडूरी कोटद्वार से बीजेपी की विधायक हैं और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी की बेटी हैं।

29 जनवरी 1965 को जन्मी ऋतु खंडूरी मूल रूप से उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के राधाबल्लभ पुरम गांव की रहने वाली हैं। चूंकि उनके पिता फौज में थे लिहाजा ऋतु खंडूरी की पढ़ाई लिखाई भी पिता के साथ रहते हुए अलग अलग स्थानों पर हुई। ऋतु खंडूरी ने मेरठ से ग्रेजुएशन किया और उसके बाद राजस्थान विश्वविद्यालय से पीजी किया। उन्होंने जर्नलिज्म में डिप्लोमा भी किया। इसके बाद वो एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी में काफी समय तक पढ़ाती रहीं। बाद में उन्होंने राजनीति का रुख किया और अब वो विधानसभा अध्यक्ष हैं। ऋतु खंडूरी के पति आईएएस अधिकारी हैं।

उत्तराखंड की “पहली महिला मुख्य सचिव” राधा रतूड़ी:

वहीं वर्तमान में राज्य में अफसरशाही की कमान भी एक महिला के हाथों में है। उत्तराखंड की सीनियर मोस्ट आईएएस अफसर राधा रतूड़ी राज्य की पहली महिला मुख्य सचिव के तौर पर ज्वाइन कर चुकी हैं। उत्तराखंड में पहली बार ऐसा हुआ है जब मुख्य सचिव की कुर्सी किसी महिला को दी गई है।

राधा रतूड़ी 1988 बैच की आईएएस अफसर हैं। 1985 में मुंबई से मॉस कम्यूनिकेशन में पीजी करने के बाद राधा रतूड़ी सिविल सर्विसेज की तैयारी में जुट गईं। हालांकि इस बीच उन्होंने इंडिया टुडे जैसी मैग्जीन में भी काम किया।

राधा रतूड़ी मूल रूप से मध्यप्रदेश की रहने वालीं हैं। सिविल सर्विसेज की तैयारी के दौरान ही उनकी मुलाकात उत्तराखंड के आईपीएस अफसर अनिल रतूड़ी से हुई। इसके बाद दोनों में दोस्ती और प्यार का सिलसिला चला जो बाद में शादी तक पहुंचा। इसके बाद एमपी की बेटी उत्तराखंड की बहू बन गईं।

उत्तराखंड की “पहली महिला चीफ जस्टिस” रितु बाहरी:

उत्तराखंड में पहली बार चीफ जस्टिस की कुर्सी भी अब एक महिला के पास है। नैनीताल हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस के तौर पर हाल ही में रितु बाहरी ने शपथ ले ली है। इसके साथ ही वो राज्य की पहली महिला चीफ जस्टिस भी बन गईं हैं।

11 अक्टूबर 1962 को पंजाब के जालंधर में जन्मी रितु बाहरी का ताल्लुक एक ऐसे परिवार से जहां वकालत का काम पीढ़ियों से होता आया है। रितु बाहरी ने अपनी शुरुआती पढ़ाई चंडीगढ़ में की। इसके बाद वर्ष 1985 में उन्होने पंजाब यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री हासिल की। साल 1986 में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में वकालत शुरू की और इसके बाद उन्होंने हरियाणा एडवोकेट जनरल कार्यालय में अपनी सेवाएं दीं। साल 1992 से लेकर 2009 तक उन्होंने हरियाणा में सहायक महाधिवक्ता, उप महाधिवक्ता और वरिष्ठ महाधिवक्ता के रूप में जिम्मेदारियां निभाई। सेवा मामले, भूमि अधिग्रहण, कराधान, राजस्व, श्रम सहित कई मामलों को उन्होंने हल किया, 16 अगस्त, 2010 को उन्हें पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट का जज नियुक्त किया गया था। उत्तराखंड हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस बनने से पहले रितु पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट की दूसरी सीनियर जज थीं।

न्यायिक बैक ग्राउंड से ताल्लुक रखने वाली जस्टिस रितु के परदादा स्वर्गीय करम चंद बाहरी अपने समय में प्रसिद्ध सिविल वकील थे। उनके दादा स्वर्गीय सोम दत्त बाहरी ने भी सिविल पक्ष में कानून का अभ्यास किया था और वह 1952 से 1957 तक पंजाब विधान सभा के सदस्य भी रहे थे। उनके पिता न्यायमूर्ति अमृत लाल बाहरी भी पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में जज रह चुके हैं।

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