(नैनीताल) 22अप्रैल,2025.
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने देहरादून की विभिन्न नदियों, नालों, खालों में हुए अतिक्रमण को लेकर दायर अलग-अलग जनहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की। मामले की सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि रिस्पना नदी के किनारे दो अतिक्रमण चिन्हित किये गए हैं।
नदियों में अतिक्रमण के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई: अतिक्रमणकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई और मुकदमा दर्ज करने के सम्बंध में रायपुर देहरादून के थानाध्यक्ष से व्यक्तिगत शपथ पत्र दायर करने को कहा है। मामले की सुनवाई अब 2 मई को होगी. कोर्ट ने अगली सुनवाई के दिन भी प्रमुख सचिव वन आरके सुधांशु, प्रमुख सचिव सिंचाई डॉ राजेश कुमार, सचिव शहरी विकास नीतीश कुमार झा और सचिव राजस्व एसएन पांडे को कोर्ट में उपस्थित रहने को कहा है।हाईकोर्ट के आदेशों के अनुपालन की रिपोर्ट देने को कहा है।
दो मई को होगी अगली सुनवाई:
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की कोर्ट ने देहरादून क्षेत्र में नदी नालों बिना मानचित्र स्वीकृति के किए जा रहे अवैध निर्माण तुरंत रोकने को कहा है।सोमवार को हुई सुनवाई पर सरकार की ओर से कहा गया कि उन्होंने कोर्ट के आदेश की अनुपालन रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर दी है।कोर्ट के आदेश के अनुसार ही पूर्व में एक कमेटी गठित कर सर्वे किया गया है और अतिक्रमण को चिन्हित किया गया।
याचिकाओं में लगाया गया है ये आरोप: मामले के अनुसार अजय नारायण शर्मा, रेनू पाल व उर्मिला थापर ने उच्च न्यायालय में अलग अलग जनहित याचिका दायर कर कहा है कि देहरादून में सहस्त्रधारा में जलमग्न भूमि में भारी निर्माण कार्य किए जा रहे हैं।इससे जल स्रोतों के सूखने के साथ ही पर्यावरण को खतरा पैदा हो रहा है। जबकि दूसरी याचिका में कहा गया है कि ऋषिकेश में नालों, खालों और ढांग पर बेइंतहां अतिक्रमण और अवैध निर्माण किया गया है।तीसरी जनहित याचिका में यह भी कहा गया है कि देहरादून में 100 एकड़, विकासनगर में 140 एकड़, ऋषिकेश में 15 एकड़, डोईवाला में 15 एकड़ करीब नदियों की भूमि पर अतिक्रमण किया जा चुका है(साभार एजेंसी)