(देहरादून)08मार्च,2025.
स्वच्छता सर्वेक्षण में अच्छी रैंक के लिए अब निगमों के आयुक्त, नगर पालिका-पंचायतों के अधिशासी अधिकारियों और कर्मचारियों को अहम जिम्मेदारी दी गई है। सर्वेक्षण में जिस निकाय की रैंक जितनी अच्छी होगी, उस अफसर की चरित्र पंजिका भी उतनी वार्षिक गोपनीय प्रविष्टि (एसीआर) भी होगी।
देशभर में स्वच्छता सर्वेक्षण 2024 इस बार सफाई की यह परीक्षा रि-साईकिल, रि-यूज, रि-ड्यूज (आरआरआर) थीम पर हो रही है। ट्रिपल आर में शहर के हर घर से कचरा एकत्र करके उसका संपूर्ण निस्तारण करने, कचरे को उपयोगी बनाने पर जोर दिया गया है। इस बार कॉलोनियों में बैकलेन यानी घरों के पीछे वाली गलियों में सफाई नहीं हुई तो नंबर कट सकते हैं। सर्वेक्षण में हर साल कई निकाय बेहद उदासीन रहते हैं।
उत्तराखंड की शहरी विकास निदेशक ने निकायों को स्वच्छता सर्वेक्षण के प्रति प्रोत्साहित करने, निकायों में स्वच्छता तंत्र को मजबूत करने के लिए नई तरकीब निकाली है। उन्होंने सभी नगर निगमों के नगर आयुक्त, नगर पालिका व नगर पंचायतों के अधिशासी अधिकारियों की एसीआर को इससे जोड़ दिया है। जिस निकाय की स्वच्छता रैंकिंग जितनी अच्छी होगी, उतना ही उस निकाय के आयुक्त या अधिशासी अधिकारी व कर्मचारियों को अपनी सीआर में लाभ मिलेगा। इससे उनकी पदोन्नति की राह आसान हो जाएगी।
पिछले साल केवल देहरादून था शीर्ष-100 में:
पिछले वर्ष स्वच्छता सर्वेक्षण में राज्य के निकायों का प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं था। देहरादून नगर निगम इकलौता था जो कि 68वीं रैंक के साथ देश के शीर्ष -100 निकायों में शामिल था। इसके बाद नगर निगम हरिद्वार की रैंक 176, रुड़की की 180, हल्द्वानी की 211, ऋषिकेश की 304, कोटद्वार की 305, काशीपुर की 348 और रुद्रपुर की 417वीं रैंक थी।
स्वच्छता सर्वेक्षण गतिमान है। निकायों के अधिकारियों, कर्मचारियों की सीआर को इसलिए सर्वेक्षण के दायरे में लाया गया है ताकि वे और मेहनत से काम करें। उनके निकाय की स्वच्छता रैंकिंग जितनी अच्छी होगी, उसी हिसाब से सीआर में एंट्री होगी। -नितिका खंडेलवाल, निदेशक,शहरी विकास(साभार एजेंसी)