(नई दिल्ली)24नवंबर,2025.
दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए सरकारी और निजी दफ्तरों को 50 फीसदी कर्मचारियों के साथ ऑन साइट काम करने और बाकी को वर्क फ्रॉम होम करने के आदेश दिए गए हैं। सरकार का कहना है कि यह कदम एहतियात के तौर पर लिया गया है, जिससे शहर में वाहनों की संख्या कम होगी और लोगों के स्वास्थ्य पर प्रदूषण का असर घटेगा। सरकार ने सभी से आदेश को मानने की अपील की है।
धुंध के साथ हुई सप्ताह के पहले दिन की शुरुआत:
राजधानी में हवा की दिशा बदलने से प्रदूषण में भले ही थोड़ा सुधार आया है, लेकिन जहरीली फिजा से लोगों को राहत नहीं मिल रही है। सोमवार सुबह की शुरुआत धुंध और हल्के कोहरे से हुई। वहीं, आसमान में स्मॉग की चादर भी दिखाई दी। इसके चलते दृश्यता भी कम रही। इस दौरान लोग मास्क पहने नजर आए। साथ ही, सांस के मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा। इस दौरान वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 382 दर्ज किया गया। यह हवा की बेहद खराब श्रेणी है। इसमें रविवार की तुलना में 9 सूचकांक की गिरावट दर्ज की गई।
दूसरी ओर, एनसीआर में नोएडा की हवा सबसे अधिक प्रदूषित रही। यहां एक्यूआई 397 दर्ज किया गया, यह बेहद खराब श्रेणी है। वहीं, गाजियाबाद में 396, ग्रेटर नोएडा में 382 और गुरुग्राम में 286 एक्यूआई दर्ज किया गया। इसके अलावा, फरीदाबाद की हवा सबसे साफ रही। यहां सूचकांक 396 दर्ज किया गया। यह हवा की खराब श्रेणी है।
दिल्ली में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए निर्णय सहायता प्रणाली के अनुसार, वाहन से होने वाला प्रदूषण 20.45 फीसदी रहा। इसके अलावा, पराली जलाने से होने वाला प्रदूषण 1.97, निर्माण गतिविधियां से होने वाला 3.10 और आवासीय इलाकों की भागीदारी 5.30 फीसदी रही।
बुधवार तक राहत के आसार नहीं:
वहीं, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) का पूर्वानुमान है कि बुधवार तक हवा बेहद खराब श्रेणी में बरकरार रहेगी। इसके चलते सांस के मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा। साथ ही, लोगों को आंखों में जलन जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। सीपीसीबी के अनुसार, राजधानी के कई मॉनिटरिंग स्टेशनों पर हवा गंभीर और कई में बेहद खराब में रिकॉर्ड की गई(साभार एजेंसी)
