(नई दिल्ली)22नवंबर,2025.
नए श्रम सुधारों में कार्यस्थल पर महिला कर्मचारियों से कोई कानूनी भेदभाव नहीं किया जा सकेगा। समान काम के लिए समान वेतन सुनिश्चित किया जाएगा। रात्रि पाली में सभी तरह के काम महिलाएं कर सकेंगी।
निश्चित अवधि के लिए रखे गए कर्मचारी को भी स्थायी कर्मचारियों की तरह ही सभी लाभ मिलेंगे, जिसमें छुट्टी, चिकित्सा और सामाजिक सुरक्षा शामिल हैं। स्थायी कर्मचारी के बराबर वेतन से आय और सुरक्षा का लाभ मिलेगा। ठेके पर काम की प्रवृति घटेगी।
‘महिलाएं सभी जगहों पर काम कर सकती हैं’
जिसमें उन्हें भूमिगत खनन और भारी मशीनरी जैसे उद्योगों में काम करने की इजाजत भी शामिल है। इसके लिए महिलाओं की अनुमति जरूरी है। इस कदम से सभी के लिए रोजगार के समान अवसर सुनिश्चित होंगे। हर कार्यस्थल पर सुरक्षा निगरानी के लिए जरूरी सुरक्षा समिति और खतरनाक रसायनों की सुरक्षित देखरेख सुनिश्चित करना जरूरी होगा। शिकायत निवारण समितियों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व अनिवार्य किया गया। महिला कर्मचारियों के परिवार परिभाषा में सास-ससुर को जोड़ने का प्रावधान, डिपेंडेंट कवरेज को बढ़ाना और समावेशिता को पक्का करना भी शामिल है।
ईएसआईसी कवरेज और लाभ
कामगारों में ईएसआईसी के तहत कवर और स्वास्थ्य लाभ देशभर में मिलेगा। जिन प्रतिष्ठानों में 10 से कम कर्मचारी होंगे, उनके पास भी इसे चुनने का विकल्प होगा, लेकिन खतरनाक कामों से प्रतिष्ठानों में इसे एक कर्मचारी होने पर भी अनिवार्य किया गया है।
आधार-लिंक्ड यूनिवर्सल अकाउंट नंबर से लाभ आसानी से हासिल होंगे
प्रवास संबंधी किसी बाधा के बिना सभी राज्यों में लाभ मिलेंगे। अनुबंध कर्मचारी को रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। ऐसे कर्मी एक साल की लगातार सेवा के बाद ग्रेच्युटी के हकदार होंगे। स्वास्थ्य लाभ और सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिलेगा।
जोखिम वाले श्रमिकों का रखा विशेष ध्यान
श्रम संहिताओं में खदान मजदूरों के जोखिमों का भी ध्यान रखा है। काम के दौरान सुरक्षा और सेहत की स्थिति को मानक बनाने के लिए मानदंड तय किए गए हैं। सभी कामगारों की स्वास्थ्य सुरक्षा मिलेगी, जिसमें सालाना मुफ्त स्वास्थ्य जांच शामिल है।
सामाजिक सुरक्षा में देना होगा योगदान
स्वीगी, अर्बन कंपनी, उबर, जमैटो जैसे एग्रीगेटर्स को सालाना टर्नओवर का 1-2 फीसदी सामाजिक सुरक्षा योगदान के रूप में देना होगा, यह 5 फीसदी तक होगा। अनिवार्य नियुक्ति पत्र में कर्मचारी का पदनाम, वेतन व सामाजिक सुरक्षा के अधिकार स्पष्ट लिखने होंगे। श्रम कानूनों में पहली बार गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों को परिभाषित किया है।
एकल खिड़की पंजीकरण, लाइसेंस व रिटर्न, कई ओवरलैपिंग फाइलिंग की जगह लेंगे। राष्ट्रीय व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य (ओएसएच) बोर्ड सभी क्षेत्रों में समान सुरक्षा व सेहत संबंधी मानदंड तय करेगा। 500 से अधिक कामगारों के कार्यस्थल पर सुरक्षा समितियां होंगी, जिससे जवाबदेही बेहतर होगी।
कार्रवाई के बजाय जागरूकता
नई संहिताओं में सजा देने वाली कार्रवाई के बजाय दिशा-निर्देश, जागरूकता व अनुपालन पर जोर है। अनुमान-योग्य विवाद का शीघ्र समाधान किया जा सकेगा। इसके लिए दो सदस्यों वाले औद्योगिक ट्रिब्यूनल होंगे और सुलह के बाद सीधे ट्रिब्यूनल में जाने का विकल्प होगा।
खतरनाक उद्योगों में यदि एक भी श्रमिक, तो ईपीएफओ के दायरे में
अब काम के घंटों से लेकर वेतन तक के नियम हैं। इससे उद्यमों पर अनुपालन का बोझ होगा। सामाजिक सुरक्षा का विस्तार होगा। खतरनाक उद्योगों में एक भी श्रमिक काम करता है, तो ईपीएफओ के दायरे में आएगा। पहले की तरह 10 श्रमिकों की अनिवार्यता नए कानून में नहीं है।
आईटी और आईटीईएस कर्मचारी : 7 तारीख तक वेतन भुगतान अनिवार्य। समान काम का समान वेतन अनिवार्य।
ज्यादातर श्रम कानून दशकों पुराने : सरकार के मुताबिक, देश के ज्यादातार श्रम कानून 1930 से 1950 के बीच के हैं, लेकिन अब मौजूदा समय में अर्थव्यवस्था और कामगारों की जरूरतें अलग हैं। दुनिया के ज्यादातर देशों ने अपने श्रम कानूनों में बदलाव किया है।
निश्चित अवधि वाले कर्मचारियों को स्थायी जैसे लाभ, एक साल बाद ग्रेच्युटी
निश्चित अवधि वाले कर्मचारियों को भी स्थायी कर्मियों की तरह सामाजिक सुरक्षा कवर, चिकित्सा, सवेतन अवकाश, ग्रेच्युटी की पात्रता पांच साल के बजाय एक साल में मिलेगी। काम के घंटे 8 से 12 होंगे। ओवरटाइम में दोगुना वेतन व अधिक घंटों के लिए लिखित सहमति जरूरी।
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकारों, डबिंग आर्टिस्ट व स्टंट पर्सन समेत डिजिटल, ऑडियो-विजुअल कामगारों को इन कानूनों का लाभ मिलेगा।
स्वास्थ्य जांच से लाभ: 40 साल से अधिक आयु के श्रमिकों की सालाना मुफ्त स्वास्थ्य जांच का सर्वाधिक लाभ खनन व जोखिम के उद्योगों के कार्यबल को होगा। ठेके वाले श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा और आधार-लिंक्ड पोर्टेबिलिटी के साथ विशेष प्रावधान होंगे।
नियोक्ता के भी अनुरूप : छंटनी की अनुमति
नई श्रम संहिताओं को नियोक्ताओं और उद्यमों के अनुकूल बनाते हुए उन्हें कई सहूलियतें दी गई हैं, जिसमें कामगारों की छंटनी का अधिकार भी शामिल है। साथ ही, कामगारों से ज्यादा घंटे काम कराया जा सकेगा। फैक्ट्रियों में श्रम कानून लागू होने का लिए कामगारों की सीमा को बढ़ाया गया है, जिससे छोटे उद्यमों के लिए नियामकीय बोझ कम होगा।
नई संहिताओं में किसी कंपनी को बंद करने और कर्मचारियों की छंटनी के लिए सरकारी मंजूरी की न्यूनतम सीमा को बढ़ा दिया गया है। अब तक 100 या उससे अधिक कामगारों वाली कंपनी को इस तरह का कदम उठाने से पहले सरकार की मंजूरी लेनी अनिवार्य थी, लेकिन नई संहिताओं में इस सीमा को बढ़ाकर 300 कामगार कर दिया गया है। साथ ही, फैक्टरी में काम के घंटों को 9 से बढ़ाकर 12 किया गया है, जबकि दुकानों और अन्य प्रतिष्ठानों में कामगार मौजूदा नौ की बजाय दस घंटे काम कर सकेंगे।
श्रमिक संगठनों के संघ ने की आलोचना…बताया अलोकतांत्रिक
दस श्रमिक संगठनों के संयुक्त संघ ने श्रम सुधारों की तीखी आलोचना की है। श्रम संहिताओं को उन्होंने श्रमिक विरोधी और नियोक्ताओं के अनुकूल करार दिया है। संगठनों ने कहा, यह कानून मनमाने और अलोकतांत्रिक हैं। इनके जरिये श्रमिकों के साथ अन्याय किया गया है।
बीएमएस ने नई संहिता को सराहा
भारतीय मजदूर संघ ने कहा कि चारों लेबर कोड श्रम बाजार की चिंताओं को दूर करते हैं। सैलरी कवरेज बढ़ाना और असंगठित क्षेत्रों में सामाजिक सुरक्षा, आधुनिक कार्यबल की उम्मीदों के साथ भविष्य के सुधारों को दिखाते हैं।
चार श्रम संहिताओं में समाहित किए मौजूदा 29 कानून
सामाजिक सुरक्षा संहिता-2020 : मौजूदा 13 कानूनों को समाहित किया गया है। इसके तहत गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों सहित सभी कामगारों को सामाजिक सुरक्षा कवरेज। सभी कामगारों को पीएफ, ईएसआईसी, बीमा और दूसरे सामाजिक सुरक्षा लाभ। पहले ईएसआईसी कवरेज अधिसूचित क्षेत्रों तक सीमित था। 10 से कम कर्मचारी वाली जगहों को आम तौर पर ईएसआईसी से बाहर रखा गया था।
वेतन संहिता-2019 : मौजूदा चार कानूनों को शामिल किया गया है। इसके तहत, सभी कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन भुगतान पाने का कानूनी अधिकार होगा। इसमें समय वेतन से वित्तीय सुरक्षा बेहतर होगी। नियोक्ताओं के लिए समय पर वेतन देना अनिवार्य। वित्तीय स्थायित्व मजबूत करना, काम का तनाव कम करना और कामगारों का पूरा हौसला बढ़ाना।
व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य शर्त संहिता, 2020
व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थितियां संहिता-2020 में 13 कानूनों को समाहित किया गया है। इसके तहत नियोक्ताओं को 40 साल से ज्यादा उम्र के सभी कर्मचारियों की सालाना मुफ्त स्वास्थ्य जांच करानी होगी। महिलाओं को सभी जगहों पर सभी तरह के काम करने की इजाजत है, बशर्ते उनकी सहमति हो और जरूरी सुरक्षा उपाय किए गए हों। अस्थायी और अनुबंधित कामगारों को भी स्थायी कर्मचारियों के बराबर सभी लाभ।
औद्योगिक संबंध संहिता-2020: मौजूदा तीन कानून शामिल किए गए हैं। इसके तहत सिंगल रजिस्ट्रेशन, देशभर में सिंगल लाइसेंस और सिंगल रिटर्न। आसान प्रक्रिया और अनुपालन के बोझ में कमी लाने के उपाय किए गए हैं। जिसमें श्रम कानून लागू करने के लिए कर्मचारियों की न्यूनतम संख्या को बढ़ाना शामिल है।
श्रम कानूनों के इतिहास का सबसे बड़ा सुधार:
यह श्रम कानूनों के इतिहास का सबसे बड़ा सुधार है। श्रमिकों को न्यूनतम वेतन, सामाजिक सुरक्षा, महिला श्रमिकों के लिए समान अवसर और गिग व संगठित कामगारों के लिए कानूनी पहचान सुनिश्चित करने वाली ये चारों संहिताएं उनके जीवन स्तर में सुधार लाएंगी और दुनियाभर के श्रम कानूनों के लिए रोल मॉडल बनेंगी। -अमित शाह, गृह मंत्री
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में अहम कदम
नए श्रम सुधार आत्मनिर्भर भारत की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। यह 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को नई गति प्रदान करेंगे। नए कानूनों का मकसद श्रमिकों को संरक्षण और सामाजिक सुरक्षा देना है। श्रमिकों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप कार्य करने के लिए प्रेरित करना और दक्षता प्रदान करना है। -डॉ. मनसुख मांडविया, केंद्रीय श्रम मंत्री
45 दिनों में जारी होंगे नियम:
नई श्रम संहिताएं लागू होने के बाद इसके तहत नियम तय किए जाने हैं। इसके तहत अगले 45 दिनों में एक-एक कर दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे। श्रम कानून केंद्र और राज्य का साझा मुद्दा है। इसलिए केंद्र और राज्यों को इसे लेकर नियम और कानून बनाने होंगे। पश्चिम बंगाल को छोड़कर ज्यादातर राज्य बीते कुछ वर्षों में श्रम कानूनों में बदलाव कर चुके हैं।(साभार एजेंसी)
