(देहरादून)30अक्टूबर,2025.
उत्तराखंड राज्य स्थापना के रजत जयंती के मौके पर तीन नवंबर को शुभारंभ सत्र पूर्ण रूप से राज्य को समर्पित किया जाएगा। यहां विकसित भारत का संकल्प, भारतीय ज्ञान परंपरा, वर्तमान परिवेश में मीडिया की चुनौतियां जैसे सत्र होंगे।
राज्य स्थापना रजत जयंती के मौके पर संस्कृति विभाग की ओर से हिमालयन सांस्कृतिक केंद्र गढ़ी कैंट में निनाद उत्सव मनेगा। नौ दिन तक चलने वाले इस उत्सव में हिमालयी कला, संगीत एवं संस्कृति की झलक नजर आएगी।
एक नंवबर की सुबह 11 बजे से इस उत्सव का आगाज होगा। इस दौरान जहां उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू कश्मीर की सांस्कृतिक झलक दिखेगी तो वहीं लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी, पद्मश्री प्रीतम भरतवाण समेत कई कलाकार अपनी आवाज का जादू बिखेरेंगे। इनके सबके बीच उत्सव में कवि सम्मेलन, नाट्य मंच और नृत्य नाटिका भी आकर्षण का केंद्र होगी।
किस दिन निनाद में कौन से कार्यक्रम
01 नवंबर : सुबह 11 बजे लोक नृत्य प्रस्तुति, दोपहर 3:30 बजे भातखंडे संगीत महाविद्यालय पौड़ी के छात्रों की सांस्कृति प्रस्तुति और शाम छह बजे से रामेश्वरी भट्ट का जागर गायन, यूलिखेरी नागालैंड की प्रस्तुति और पद्मश्री सुरेश वाडेकर की प्रस्तुति होगी।
02 नवंबर : सुबह 11 बजे लोक नृत्य, हिमाचल के सांस्कृति दल की नाटी प्रस्तुति, नृत्यांगन संस्था की गंगा अवतरण प्रस्तुति, दोपहर 3:30 बजे उत्तराखंड में सिनेमा विषय पर पैनल डिस्कशन और आर्य नंदा का ओडिसी नृत्य होगा। शाम को छह बजे से कमला देवी का लोक गायन, विपुल रॉय की सिम्फनी ऑफ हिमालयाज की प्रस्तुति और लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी की प्रस्तुति होगी।
03 नवंबर : सुबह 11 बजे से जनजाति लोकनृत्यों की प्रस्तुति, तिब्बतियन इंस्टीट्यूट ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट धर्मशाला की सांस्कृतिक प्रस्तुति, हिमाचल के सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। दोपहर 3:30 बजे के सत्र में उत्तराखंड की लोक भाषा एवं संस्कृति विषय पर पैनल डिस्कशन होगा। शाम को छह बजे से रित्विज पंत की शास्त्रीय गायन प्रस्तुति, तिब्बतियन इंस्टीट्यूट ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट धर्मशाला की सांस्कृतिक प्रस्तुति और पद्मभूषण एवं ग्रैमी अवार्ड से सम्मानित पंडित विश्व मोहन भट्ट की मोहन वीणा वादन प्रस्तुति होगी।
04 नवंबर : सुबह 11 बजे के सत्र में जनजाति लोक नृत्य, असम का लोक नृत्य व गायन, हिामचल का लोक नृत्य व गायन होगा। दोपहर 3:30 बजे हिमालय में रंगमंच पर पैनल डिस्कशन होगा। शाम को छह बजे के सत्र में योगेश खेतवाल की शास्त्रीय गायन प्रस्तुति, पद्मश्री रोनू मजूमदार और मैसूर मंजूनाथ की बांसुरी व वायलिन पर जुगलबंदी और पंडित हरीश गंगानी व नयनिका खंडूरी की कत्थक जुगलबंदी होगी।
05 नवंबर : सुबह 11 बजे पौराणिक लोकवाद्य प्रस्तुति, तिब्बतियन होम फाउंडेशन राजपुर की लोकनृत्य प्रस्तुति, मणिपरी बसंत रासलीला कार्यक्रम होगा। दोपहर 3:30 बजे के सत्र में एनएसडी के डॉ. अहसान बख्श का नाट्य मंचन होगा। शाम को छह बजे से पंडित राहुल शर्मा की संतूर वादन और पद्मश्री मालिनी अवस्थी की लोक संगीत प्रस्तुति होगी।
06 नवंबर : सुबह 11 बजे से जनजाति लोक नृत्य, गंधर्व महाविद्यालय व सुभारती इंस्टीट्यूट की सांस्कृति प्रस्तुति होगी। दोपहर 3:30 बजे के सत्र में नंदा राजजात पर पैनल डिस्कशन होगा। शाम छह बजे से मोहन रावत का संतूर वादन, लैंडेड रिदमस्थान बैंक की प्रस्तुति और पद्मश्री प्रीतम भरतवाण की सांस्कृति प्रस्तुति होगी।
07 नवंबर : सुबह 11 बजे उत्तराखंड के लोकनृत्य, जम्मू कश्मीर के लोकनृत्य होंगे। दोपहर 3:30 बजे हिमालय में खान-पान, विरासत और उत्तराधिकार पर पैनल डिस्कशन और शाम छह बजे पद्म विभूषण डॉ. सोनल मानसिंह, की नृत्य नाटिका और पांडवाज बैंड की प्रस्तुति होगी।
08 नवंबर : सुबह 11 बजे से उत्तराखंड के लोकनृत्य, भातखंडे संगीत महाविद्यालय अल्मोड़ा और जम्मू कश्मीर के लोक नृत्य होंगे। दोपहर 3:30 बजे भातखंडे संगीत महाविद्यालय देहरादून की प्रस्तुति, डॉ. विजय भट्ट की म्यूजिक थैरेपी और एमकेपी पीजी कॉलेज देहरादून की छात्राओं की प्रस्तुति होगी। शाम को छह बजे पंडित रितेश व रजनीश मिश्रा का शास्त्रीय गायन और कवि सम्मेलन होगा। इस कवि सम्मेलन में डॉ. हरिओम पंवार, विष्णु सक्सेना, शंभू शिखर, तेज नारायण बेचैन और श्वेता सिंह शामिल होंगे।
09 नवंबर : सुबह 11 बजे से उत्तराखंड के लोकनृत्य, सुनहरे घुंघरू डांस स्कूल व अर्धांग इंस्टीट्यूट की प्रस्तुति होगी। दोपहर 3:30 बजे उत्तराखंड के गढ़वाली, कुमाऊंनी, जौनसारी व थारू जनजाति के लोकनृत्य होंगे। शाम को छह बजे भूटान बैंड की प्रस्तुति होगी(साभार एजेंसी)
