अचानक बढ़ा डल झील का जलस्तर

Uttarakhand News

(शिमला,हिमाचल प्रदेश)31अगस्त,2025

24 अगस्त की सुबह भारी बारिश के कारण डल झील का जलस्तर अचानक बढ़ गया। देखते ही देखते डल झील से निकले पानी ने सैलाब का रूप लेकर तबाही मचा दी।

मणिमहेश यात्रा के दौरान 24 अगस्त की सुबह का मंजर श्रद्धालु कभी नहीं भूल पाएंगे। सुबह करीब 6:00 बजे से लगातार हो रही भारी बारिश के कारण डल झील का जलस्तर अचानक बढ़ गया। झील का उफान इतना तेज था कि परिक्रमा मार्ग पलभर में पानी से लबालब हो गया। देखते ही देखते डल झील से निकले पानी ने सैलाब का रूप लेकर तबाही मचा दी। पानी के तेज बहाव में गौरीकुंड, सुंदरासी, धन्छो, दोनाली और हड़सर तक बने कई पुल-पगडंडियां बह गईं। रास्ते में लगीं दुकानें और लंगर भी पानी की धारा में समा गए।

श्रद्धालुओं ने बताया कि अचानक आए इस सैलाब ने हर किसी को दहशत में डाल दिया। लोग अपने परिवार और बच्चों को संभालते हुए चीखते-चिल्लाते सुरक्षित जगह की ओर भागे। मणिमहेश यात्रा कर लौटे चंबा के भलेई निवासी 27 वर्षीय अभिषेक राजपूत ने बताया कि वह 18 अगस्त को कुगती मार्ग से यात्रा पर निकले और 20 अगस्त को मणिमहेश पहुंचे। 23 अगस्त को मणिमहेश सेवा समिति की ओर से विश्व शांति के लिए यज्ञ करवाया गया था। इसके लिए वह भी वहां रुके हुए थे।

उन्होंने कहा कि 24 अगस्त की सुबह अचानक डल झील का जलस्तर बढ़ने से परिक्रमा मार्ग जलमग्न हो गया। पानी की धारा इतनी तेज थी कि झील से निकलकर नीचे की ओर सब कुछ तबाह करता गया। उन्होंने कहा कि 25 अगस्त को जब हम वहां से नीचे उतरे तो सब कुछ साफ हो चुका था। दुकानों और लंगर वाले स्थानों पर मिट्टी और पत्थरों के ढेर लगे थे।
गौरीकुंड का पुल ही सुरक्षित
एक श्रद्धालु ने बताया कि वापसी में केवल गौरीकुंड से डल झील को जोड़ने वाला पुल ही सुरक्षित मिला। बाकी स्थानों पर चारों ओर तबाही का मंजर था। वह किसी तरह हड़सर पहुंचे और 25 अगस्त की रात लंगर समिति की गाड़ी से भरमौर आए। वहां दो दिन रुकने के बाद 29 अगस्त को खड़ामुख पहुंचे। आगे का सफर भी आसान नहीं था। जगह-जगह हाईवे तबाह हो चुका था, जिसके कारण उन्हें सात किलोमीटर पैदल चलकर टनल तक पहुंचना पड़ा। श्रद्धालुओं ने बताया कि प्राकृतिक आपदा ने उन्हें भयभीत जरूर किया, लेकिन सुरक्षित लौटने पर वह भगवान का शुक्रगुजार हैं।

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