( देहरादून )17 जून,2025.
उत्तराखंड राज्य के सभी सरकारी और निजी स्कूलों में शिक्षा गुणवत्ता के न्यूनतम मानकों के पालन के लिए राज्य विद्यालय मानक प्राधिकरण के गठन की तैयारी की जा रही है। अपर शिक्षा निदेशक पदमेंद्र सकलानी के मुताबिक विभाग की ओर से सीबीएसई, असम और पंजाब में गठित प्राधिकरण के अध्ययन के बाद शासन को इसके लिए प्रस्ताव भेजा गया है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में सिफारिश की गई है कि सभी विद्यालयों में न्यूनतम व्यावसायिक एवं गुणवत्ता मानकों का पालन सुनिश्चित करने के लिए राज्य एक स्वतंत्र राज्य व्यापी निकाय का गठन करेगा। जो बुनियादी मानदंडों के साथ ही सुरक्षा, बचाव, आधारभूत ढांचे, विद्यालयों में कक्षाओं और विषयों के आधार पर शिक्षकों की संख्या आदि के लिए न्यूनतम मानक तय करेगा। प्राधिकरण की ओर से तय किए गए इन सभी मानकों का राजकीय एवं निजी विद्यालय पालन करेंगे।
प्राधिकरण के ये होंगे अध्यक्ष और सदस्य:
शिक्षा निदेशालय की ओर से भेजे गए प्रस्ताव में कहा गया है कि शासन की ओर से नामित शिक्षाविद, सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी या सेवानिवृत्त न्यायाधीश जिनका शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान रहा हो। उन्हें इसका अध्यक्ष बनाया जाएगा। जबकि महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा, निदेशक एससीईआरटी, निदेशक एनआईसी, क्षेत्रीय निदेशक सीबीएसई, अपर निदेशक एससीईआरटी, संयुक्त निदेशक शिक्षा महानिदेशालय, शासन की ओर से आईसीएसई विद्यालय के नामित प्रधानाचार्य, सीबीएसई से संबद्ध निजी विद्यालय के प्रधानाचार्य, विद्यालय भारती स्कूल के निरीक्षक एवं शासन की ओर से नामित शिक्षा क्षेत्र में कार्यरत गैर सरकारी संगठन को प्राधिकरण का सदस्य बनाया जाना प्रस्तावित है।
21897 स्कूलों में न्यूनतम मानक होंगे तय:
प्रदेश में निजी स्कूलों पर फीस में मनमानी वृद्धि और जरूरी सुविधाओं की कमी के आरोप लगाते रहे हैं। ऐसे में प्राधिकरण करीब 16501 सरकारी और 5396 निजी विद्यालयों में न्यूनतम मानक तय करेगा।
स्कूलों को फीस और पढ़ाए जाने वाले विषय करने होंगे सार्वजनिक
देहरादून। प्राधिकरण विद्यालयों में पढ़ाए जाने वाले विषय, फीस आदि की सूचनाओं को सार्वजनिक कराएगा। निजी विद्यालयों में शिक्षकों और कर्मचारियों के लिए वेतन भी तय करेगा।
एक अर्द्ध न्यायिक आयोग होगा प्राधिकरण:
विद्यालयों की मान्यता की शर्त तय करने, उसका पालन कराने और विद्यालयों से संबंधित किसी भी तरह की कोई शिकायत मिलने पर उसकी जांच भी प्राधिकरण करेगा। प्राधिकरण एक अर्द्ध न्यायिक आयोग होगा, जो किसी स्कूल की मान्यता पूरी तरह से समाप्त करने के साथ ही स्कूल को दंडित कर सकेगा।
शासन को फिर से भेजा गया है प्रस्ताव:
राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने शासन को वर्ष 2022 में इसका प्रस्ताव भेजा था, लेकिन शासन ने हाल ही में शिक्षा निदेशालय को इसे लौटा दिया था। जिसे फिर से शासन को भेजा गया है।
प्राधिकरण के गठन के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा जा चुका है। शासन में बैठक के बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा।-पदमेंद्र सकलानी, अपर शिक्षा निदेशक,प्रारंभिक शिक्षा(साभार एजेंसी)