आईएफएफआई, 54 में मोरक्को की फिल्म “फ़ेज़ समर’ 55” का एशियाई प्रीमियर हुआ

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निर्देशक अब्देलहाई लारकी ने आज गोवा में 54वें भारत अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में प्रतिनिधियों और मीडिया के साथ बातचीत करते हुए कहा, फिल्म ‘फेज़ समर’ 55 एक बच्चे की नजर से मोरक्को के स्वतंत्रता संग्राम को चित्रित करती है। इस फिल्म का आईएफएफआई 54 में एशियाई प्रीमियर हुआ है और यह फिल्म अरबी और फ्रेंच भाषा में बनी है।

फ़ेज़ समर’ 55 एक राजनीतिक नाटक है, जो 1955 के गर्मी के मौसम के दौरान स्वतंत्रता के लिए मोरक्को के संघर्ष की उथल-पुथल भरी घटनाओं की पड़ताल करता है। ‘मदीना ऑफ़ फ़ेज़’ का 11 वर्षीय लड़का कमल, मोरक्को की स्वतंत्रता-पूर्व के आखिरी महीनों का अनुभव कर रहा है। आचा और क़राओउइइन विश्वविद्यालय के उसके साथी छात्रों के संपर्क में, वह स्वतंत्रता की लड़ाई के बारे में जानकारी प्राप्त करता है और उसमें भाग लेता है।

निर्देशक अब्देलहाई लारकी को संवेदनशील विषयों पर फिल्म-निर्माण के लिए जाना जाता है। उनकी फिल्मों को आलोचकों की सराहना और दर्शकों की प्रशंसा मिली है। उनकी फिल्मों की कहानी इतिहास, सत्ता और धर्म के साथ लोगों के संबंधों का प्रतिबिंब होती है। फ़ेज़ समर’55 स्वतंत्रता के लिए मोरक्को के संघर्ष की पृष्ठभूमि में भी इन विषयों की खोज करता है। संघर्ष ने तब हिंसक रूप ले लिया था, जब फ्रांसीसियों ने कैसाब्लांका में मोरक्को के राष्ट्रवादियों को मार डाला था।

फिल्म के लिए अपनी प्रेरणा के बारे में लारकी ने बताया कि कैसे यह उनके दिल के बहुत करीब है। उन्होंने साझा किया, “मैं फ़ेज़ के इसी मदीना में पैदा हुआ, पड़ोसी शहर में बड़ा हुआ, जो एक फ़िल्म-प्रेमी शहर था।” वे मोरक्को के इतिहास के एक छोटे-से हिस्से को फिर से बनाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने वास्तविक जीवन के प्रतिरोध सेनानियों का साक्षात्कार लिया, ताकि उनकी कहानी को समझा जा सके। उन्होंने आगे कहा, “उनमें से एक ने मुझे अपना किस्सा सुनाया कि कैसे एक बच्चे के रूप में उन्होंने प्रतिरोध में भाग लिया था। यही वह क्षण था, जब मुझे पता चला कि इस विषय को एक बच्चे की नजर से कैसे देखना है।“ लारकी ने कहा कि उन्हें उस मासूम बच्चे में अधिक रुचि है, जो मोरक्को की स्वतंत्रता के उच्च लक्ष्य के लिए विचारधारा का चयन करेगा।

उनके मुताबिक फेज मदीना (अरबी में मदीना का मतलब शहर होता है) अपने आप में इस फिल्म में एक किरदार है। इसमें छत की एक खासियत है, क्योंकि इसमें छत पर र‍हने वाली मोरक्को की महिलाओं एवं बच्चों की जिंदगी और नीचे अंधेरी गलियों में रहने वाले फ्रांसीसी उपनिवेशवादियों एवं स्वतंत्रता सेनानियों की जिंदगी में भारी अंतर होने को प्रस्‍तुत किया गया है। फेज के निवासी इसे जीवंत बना देते हैं। इसमें पहचान को एक थीम के रूप में प्रस्‍तुत करते हुए उन्‍होंने फेज, जो कि खुले आकाश वाला एक बंद स्थल है, को मोरक्को और दुनिया के उन सभी स्थानों के लिए एक रूपक के रूप में पेश किया है जो उपनिवेश हुआ करते थे।

निर्देशक को यह भी लगता है कि यह थीम आज के ऐसे समय में और भी अधिक प्रासंगिक हो गई है जब हम तत्कालीन उपनिवेश देशों में नव-उपनिवेशवाद पर नए सिरे से बहस कर रहे हैं। उन्‍होंने कहा, ‘आज गाजा में इतिहास खुद को दोहरा रहा है। उन्‍होंने यह भी कहा, ‘11 साल का लड़का भी ठीक इसी तरह से एक प्रतीक है, आज के मोरक्को का प्रतीक है, जो अपनी वास्तविक आजादी की ओर अग्रसर हो रहा है।

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