थायरायड से बचाव एवं चिकित्सा के उपाय…

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थायरायड ग्रंथि एवं इससे होने वाली समस्याओं के लक्षणों आदि की संक्षिप्त जानकारी इस लेख में देने का प्रयास किया है । आइये जानें थायरायड की समस्या से बचाव एवं सम्बंधित चिकित्सोपयोगी जानकारी

क्या नहीं खाएं?

थायरायड से पीड़ित के लिए सोया एवं इससे बने अन्य पदार्थों को दुश्मन नंबर एक माना गया है । आधुनिक शोध इस बात को प्रमाणित भी कर रहे हैं कि लगभग एक तिहाई बच्चे जो ऑटोइम्यून थायरायड से सम्बंधित समस्याओं से पीड़ित होते है, उनमें सोया-मिल्क या इससे बने अन्य पदार्थ इस समस्या का एक बड़ा कारण हैं

आप इतना तो अवश्य जानते होंगे कि सोयाबीन हायड्रोजेनेटेडफैट एवं पालीअनसेचुरेटेड ऑयल का सबसे बड़ा स्रोत है ।

फूलगोभी, ब्रोकली एवं पत्ता गोभी स्वयं में “गूट्रोजन” पाये जाने के कारण थायरायड हार्मोन्स के प्रोडक्शन पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। अतः इस समस्या से ग्रसित रोगी को भोजन में इन्हें लेने से बचना चाहिए।

क्या खाएं?

आयोडीन

थायराइड की समस्या में आयोडीन की भूमिका अति महत्वपूर्ण होती है। इसी न्युट्रीयंट पर थायरायड की कार्यकुशलता निर्भर करती है। पूरी दुनिया में ऑटोइम्यून कारणों से उत्पन्न होनेवाली थायरायड की समस्या को छोड़कर बांकी अधिकाँश रोगियों में आयोडीन की कमी इस समस्या का मूल कारण है।

विटामिन डी

भोज्य पदार्थ जिनमें प्रचुर मात्रा में विटामिन-डी पाया जाता हो जैसे…दूध एवं मशरूम का सेवन पर्याप्त मात्रा में करना चाहिए और यदि विटामिन-डी की मात्रा आवश्यक मात्रा से कम है तो इसे सप्लीमेंट के रूप में चिकित्सक के परामर्श से लेना चाहिए…

सेलीनियम

भोजन में पर्याप्त सेलीनियम थायरायड ग्रंथि की कार्यकुशलता के लिए अत्यंत आवश्यक है, जो अखरोट, बादाम जैसे सूखे फलों में पाया जाता है।

नियंत्रित व्यायाम

हायपो-थायराईडिज्म एवं हायपर-थायराईडिज्म दोनों ही स्थितियों में आवश्यक माना गया है। इससे वजन बढ़ना, थकान एवं अवसाद जैसी स्थितियों से बचने में काफी मदद मिलती है।

उपचार

आयुर्वेदिक चिकित्सा में कांचनार एवं पुनर्नवा का उपयोग हायपो-थायराईडिज्म की समस्या को कंट्रोल करने में किया जाता है। इन दोनों का क्वाथ बनाकर तीस मिली की मात्रा में खाली पेट सुबह-शाम लेना लाभप्रद साबित होता है।
एक गिलास पानी में रात्रीपर्यंत भिगोये हुए धनिये को प्रातः खाली पेट सेवन करना भी थायराइड सम्बंधित समस्याओं में लाभ देता है।

एक साफ़ कटोरी में दो चमच्च पिसी अलसी का पाउडर लें, इसमें बराबर मात्रा में पानी मिला लें, इसका पेस्ट बनाकर और ग्रंथि के स्थान पर बाहर से लेप करना भी गोयटर की स्थिति में लाभकारी माना गया है।

प्रातः काल सात काली मिर्च का एक माह तक निरंतर सेवन एक सप्ताह तक लगातार और फिर सात-सात दिन छोड़कर एक सप्ताह तक लेना भी थायराइड की समस्या में लाभकारी प्रभाव दर्शाता है।

त्रिकटु चूर्ण (सौंठ + काली मिर्च +पिप्पली बराबर मात्रा में ) पचास ग्राम लेकर इसमें बहेड़ा चूर्ण पच्चीस ग्राम एवं गोदंती भस्म पांच ग्राम + प्रवाल पिष्टी पांच ग्राम इन सबको मिलाकर सुबह शाम शहद के साथ लेना थायराइड की समस्या में फायदेमंद होता है ।

साभार :योग/विशेषज्ञ चिकित्सक

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