पहाड़ की बेटियों ने शुरू किया प्रभावशाली सियासी सफर

Uttarakhand News

( देहरादून )02अगस्त,2025.

सोचिये अगर पहाड़ की महिलाओं को मौका मिले तो सियासी रणभूमि में वो क्या कर सकती हैं ? समर्थन ही नहीं वोट का सपोर्ट मातृशक्ति को नई पहचान दे सकता है और सियासत के मैदान का नक्शा बदल सकता है क्योंकि पंचायत चुनाव के नतीजों ने एक सुखद सन्देश तो दे ही दिया है। उत्तराखंड के पंचायत चुनावों में इस बार कई युवा चेहरों ने जीत हासिल कर सबको चौंका दिया है।इन युवाओं ने नौकरी के बजाय अपने क्षेत्र के विकास के लिए छोटी सरकार में जनप्रतिनिधि बनना चुना है।

ग्रामीण लड़कियों के लिए प्रेरणा:
चमोली के गैरसैंण विकासखंड के आदर्श ग्राम सारकोट में 21 साल की प्रियंका नेगी ने ग्राम प्रधान का चुनाव जीतकर एक मिसाल कायम की है। राजनीति शास्त्र में ग्रेजुएट प्रियंका ने अपनी प्रतिद्वंद्वी प्रियंका देवी को 186 वोटों (प्रियंका नेगी को 421 और प्रियंका देवी को 235 वोट मिले) के बड़े अंतर से हराया। यह गांव मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा गोद लिया गया है।प्रियंका नेगी के पिता राजेंद्र नेगी भी पहले दो बार ग्राम प्रधान रह चुके हैं। प्रियंका ने कहा कि वह गांव में स्वच्छता, महिलाओं को रोजगार से जोड़ने, स्वास्थ्य और शिक्षा पर विशेष ध्यान देंगी।उनका लक्ष्य अपने गांव को देश का एक आदर्श और विकसित गांव बनाना है।

पौड़ी में 22 साल की साक्षी ने जीत दर्ज की– पौड़ी जिले के पाबौ ब्लॉक के कुई गांव को भी सबसे युवा प्रधान मिली हैं. 22 वर्षीय साक्षी ने देहरादून से बी.टेक की पढ़ाई पूरी करने के बाद गांव लौटकर पंचायत चुनाव लड़ने का फैसला किया. उन्होंने अपनी तकनीकी समझ और शहरी अनुभव का इस्तेमाल गांव के समग्र विकास के लिए करने की बात कही है. साक्षी का सपना गांव में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के नए अवसर पैदा करना है, जिससे गांव वालों में बदलाव की एक नई उम्मीद जगी है।

अल्मोड़ा में 21 साल की निकिता बनीं क्षेत्र पंचायत सदस्य – अल्मोड़ा जिले के चौखुटिया विकासखंड के कोट्यूड़ा टेड़ागांव की निकिता ने 21 साल की उम्र में क्षेत्र पंचायत सदस्य (बी.डी.सी.) बनकर इतिहास रचा है. निकिता, जो अभी बीए की पढ़ाई कर रही हैं, ने अपने प्रतिद्वंद्वी को 41 वोटों से हराया। जीत के बाद उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं, शिक्षा और स्वास्थ्य के मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाना है। निकिता ने जोर देकर कहा कि अब महिलाएं सिर्फ वोट नहीं देंगी, बल्कि नेतृत्व भी करेंगी।उनकी यह जीत उन सभी ग्रामीण लड़कियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो बड़े सपने देखती हैं।

Share it

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *