राज्यपाल ने किया,कुमाऊं रेजिमेंट सेंटर का दौरा

Uttarakhand News

( अल्मोड़ा )05जून ,2025.

राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने गुरुवार को रानीखेत स्थित कुमाऊं रेजिमेंट सेंटर का भ्रमण किया। उन्होंने कहा कि कुमाऊं रेजिमेंट का इतिहास गौरवशाली रहा है और इसकी 23 बटालियनें आज भी देश की सुरक्षा में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं।

गुरुवार को रानीखेत पहुंचने पर जिलाधिकारी आलोक कुमार पांडेय, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देवेंद्र पींचा सहित कुमाऊं रेजिमेंट के अधिकारियों ने राज्यपाल का पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया। इस दौरान उन्होंने अधिकारियों, जवानों और प्रशिक्षु अग्निवीरों से संवाद किया। उन्होंने वीर नारियों को सम्मानित कर उनकी भूमिका को नमन किया। सेंटर के कमांडर ब्रिगेडियर संजय कुमार यादव ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से राज्यपाल को सेंटर की वर्तमान गतिविधियों और भविष्य की योजनाओं की जानकारी दी। राज्यपाल ने सेंटर द्वारा चलाए जा रहे आउटरीच प्रोग्राम्स की सराहना करते हुए कहा कि सैनिकों और उनके परिवारों के लिए कौशल विकास, दस्तावेजों के डिजिटलीकरण और उच्च शिक्षा से समन्वय अत्यंत सराहनीय पहल हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि भविष्य में एआई आधारित कार्यक्रम, उद्यानिकी तथा पूर्व सैनिकों के परिवारों के लिए होम स्टे योजनाएं चलाई जाएं।

राज्यपाल ने स्मार्ट फायरिंग सिमुलेटर, डिजिटलीकरण, ऑनलाइन कोर्सेज और हाई परफॉर्मेंस सेंटर जैसी नवाचार पहलों की भी प्रशंसा की। साथ ही, आर्चरी, बॉक्सिंग और ताइक्वांडो जैसे खेलों के प्रशिक्षण को अनुकरणीय बताया। कार्यक्रम के अंत में राज्यपाल अपने परिवार संग प्रसिद्ध झूला देवी मंदिर पहुंचे, जहां उन्होंने पूजा-अर्चना कर प्रदेश की शांति, समृद्धि और विकास की कामना की। वहां कुमाऊं रेजिमेंट के कमांडेंट ब्रिगेडियर संजय कुमार यादव, संयुक्त मजिस्ट्रेट रानीखेत राहुल आनंद, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हरबंश सिंह आदि मौजूद रहे।

वीर नारियों को मिला सम्मान:
राज्यपाल ने रेजिमेंट केंद्र में आयोजित कार्यक्रम के दौरान वीर नारियों को सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि देश की रक्षा में शहीदों के साथ उनके परिवारों का योगदान भी अतुलनीय है। यह सम्मान राष्ट्र की ओर से उनका आभार प्रकट करने का एक प्रयास है।

महिलाओं के आत्मनिर्भर प्रयासों की सराहना:
राज्यपाल ने भ्रमण के दौरान वूल केंद्र का निरीक्षण किया, जहां पूर्व सैनिकों की आश्रित महिलाएं हस्तनिर्मित शॉल और जैकेट तैयार कर रही थीं। उन्होंने कहा कि यह न केवल आत्मनिर्भरता की मिसाल है, बल्कि पारंपरिक कौशल के संरक्षण का भी उत्तम उदाहरण है।

खेलों के क्षेत्र में नवाचार पर जोर:
राज्यपाल ने सेंटर में आर्चरी, बॉक्सिंग और ताइक्वांडो जैसे खेलों के प्रशिक्षण को देख कर प्रसन्नता जताई। उन्होंने कहा कि सैनिकों को मानसिक और शारीरिक रूप से फिट रखने के लिए खेलों का बड़ा योगदान है। ऐसे प्रशिक्षण केंद्र युवाओं को प्रतिस्पर्धात्मक माहौल में तैयार करने में सहायक साबित होंगे(साभार एजेंसी)

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