(देहरादून)26मई,2025.
रामबांस और तिमूर सुरक्षा कवच बनकर पहाड़ के किसानों की फसलों को जंगली जानवरों से बचाएंगे। दोनों का खेतों की बाड़ के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा। रामबांस से रस्सी और तिमूर से टूथपेस्ट बनाया जाता है। इन्हें बेचकर किसान अपनी आर्थिकी भी सुधारेंगे। बागेश्वर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में वन विभाग जल्द ही खेतों के किनारे रामबांस और तिमूर लगाने का काम शुरू कर देगा।
पहाड़ों में किसान जंगली जानवरों से परेशान हैं। बंदर, सुअर आदि उनकी मेहनत को बर्बाद कर रहे हैं। यही कारण है कि उनका खेती-किसानी से मोहभंग होता जा रहा है। खेत बंजर होते जा रहे हैं। ऐसे में उनकी फसलों को सुरक्षा मिले, इसके लिए वन विभाग ने खेतों के चारों ओर रामबांस और तिमूर के बाड़ बनाने की योजना बनाई है।
अमेरिकी मूल का पौधा है रामबांस:
अमेरिकी मूल का पौधा भारत में रामबांस कहा जाता है। यह शुष्क क्षेत्रों में पशुओं और जंगली जानवरों से सुरक्षा के लिए खेत की मेड़ों पर लगाया जाता रहा है। कई स्थानों पर इसे शोभा के रूप में भी लगाया जाता है। इसकी पत्तियों से उच्च गुणवत्तायुक्त मजबूत और चमकीला प्राकृतिक रेशा प्राप्त होता है। इससे रस्सी, चटाई, आर्टिफिशियल बाल सहित कई अन्य उत्पाद बनते हैं।
औषधीय गुणों से भरपूर है तिमूर’
तिमूर औषधीय गुणों से भरपूर है। इसका प्रयोग मसाले, टूथपेस्ट, दवा आदि बनाने में किया जाता है। इसके बीज की कीमत प्रति किलो करीब 1500 रुपये है। बाजार में इसकी काफी मांग है।
किसानों की हमेशा शिकायत रहती है कि जंगली जानवर उनकी फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए उनकी फसलों की रक्षा प्राकृतिक तरीके से करने की योजना बनाई है। खेतों के बाड़ पर तिमूर और रामबांस लगाकर जंगली जानवरों से फसलों की रक्षा की जाएगी। इससे किसानों की आय भी सुधरेगी क्योंकि तिमूर और रामबांस की बाजार में अच्छी डिमांड है। -तनुजा परिहार, उप प्रभागीय वनाधिकारी बागेश्वर (साभार एजेंसी)