(देहरादून)18मई,2025.
उत्तराखंड सरकार द्वारा पब्लिक ट्रांसपोर्ट को ग्रीन एनर्जी पर शिफ्ट करने की कवायद शुरू तो हुई लेकिन पॉलिसी के दावे के अनुसार सब्सिडी ना मिलने से लोगों में उत्साह की कमी देखने को मिल रही है।देहरादून में सिटी बस और विक्रम इत्यादि को ग्रीन एनर्जी पर शिफ्ट करने को लेकर देहरादून आरटीओ ने एक बड़ी पहल शुरू की थी। यह विशेष तौर से देहरादून शहर को प्रदूषण मुक्त करने की दिशा में एक बड़ी पहल थी। इसके अलावा और भी कई आमूल चूल परिवर्तन देहरादून शहर में कार्बन उत्सर्जन को कम करने को लेकर किए गए थे। हालांकि, इसके परिणाम उतने सकारात्मक नहीं रहे।
लोगों को नहीं मिली सब्सिडी: इस योजना को लेकर देहरादून आरटीओ संदीप सैनी ने बताया कि उत्तराखंड सरकार द्वारा ‘उत्तराखंड क्लीन मोबिलिटी पॉलिसी 2024’ लाई गई थी। इस पॉलिसी के तहत देहरादून शहर को सबसे पहले लिया गया था और कोशिश की गई थी कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट को क्लीन फ्यूल पर शिफ्ट किया जाए। इसमें विशेष तौर सबसे ज्यादा पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए इस्तेमाल होने वाले सिटी बस और थ्री व्हीलर, विक्रम को लिया गया था. इसमें क्लीन फ्यूल की तरफ जाने वाले वाहन चालकों और वाहन स्वामियों को सब्सिडी देने का भी प्रावधान था।
अब लगभग सॉफ्टवेयर बनकर तैयार होने वाला है और इस योजना को आगे बढ़ाने के लिए वह शासन को प्रस्ताव भेजा जा रहा है.अभी शुरूआत है जैसे कुछ लोगों को सब्सिडी मिल जाएगी, बाकी लोग भी प्रोत्साहित होंगे।जल्द ही इस योजना का लाभ देहरादून में पब्लिक ट्रांसपोर्ट व्यवसाय करने वाले लोगों को मिलेगा और तेजी से देहरादून में पब्लिक ट्रांसपोर्ट क्लीन फ्यूल पर शिफ्ट होगा।
- संदीप सैनी, आरटीओ –
दोबारा योजना को शुरू करने का भेजा प्रस्ताव: पॉलिसी को शुरुआत में पहले एक साल के लिए ट्रायल फेस पर उतरा गया था और इसमें सॉफ्टवेयर निर्माण के साथ-साथ कई शुरुआती कार्य होने थे और देहरादून के तकरीबन ढाई सौ थ्री व्हीलर, विक्रम भी क्लीन फ्यूल में शिफ्ट किए गए थे।एक साल की इस स्कीम के तहत देहरादून के करीबन 794 विक्रम में से ‘यूरो 6’ के तहत केवल 30% की थ्री व्हीलर विक्रम क्लीन फ्यूल में शिफ्ट हो पाए. वहीं 250 सिटी बस में से यह 0% रहा है।
फिलहाल एक साल के लिए निकाली गई पॉलिसी पूरी हो चुकी है, हालांकि इसके परिणाम उतने सकारात्मक नहीं रहे हैं।लेकिन अब संभागीय परिवहन कार्यालय द्वारा एक बार दोबारा इस पॉलिसी को की अवधि बढ़ाने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा जा रहा है।
देहरादून शहर में ‘नेशनल क्लीन एयर’ प्रोग्राम के तहत सिटी लेवल एमिशन इन्वेंटरी अध्ययन में प्राप्त हुए आंकड़ों के अनुसार प्रदूषण में अलग-अलग प्रकार के पोल्यूटेंट होते हैं, जिसमें PM2.5, PM10, SO2, NOx और कार्बन मोनोऑक्साइड इत्यादि मौजूद हैं और इन सभी प्रकार के प्रदूषण के स्रोत भी अलग-अलग हैं। इसमें वाहनों से होने वाला प्रदूषण भी एक मुख्य स्रोत है, यह प्रदूषण 7 से 10% होता है। इसी के तहत यह फैसला लिया गया है कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट को क्लीन फ्यूल सीएनजी पीएनजी या फिर हाइब्रिड मोड या फिर इलेक्ट्रिक मोड में संचालित किया जाए।
- डॉ. पराग मधुकर धकाते, सदस्य सचिव, पीसीबी –
लोगों में उत्साह हुआ कम: पिछले एक साल में देहरादून में आरटीओ कार्यालय द्वारा डीजल संचालित थ्री व्हीलर विक्रम को सीएनजी पर शिफ्ट करने का अभियान तो जोरों शोर पर चला, लेकिन योजना के तहत बनने वाले सॉफ्टवेयर में हुई देरी की वजह से लोगों को सब्सिडी का लाभ नहीं मिल पाया।यही वजह है कि जिस स्कीम के तहत शुरू में बहुत युद्धस्तर पर कार्य किया जा रहा था।टाइम बीतने के साथ-साथ सब्सिडी ना मिलने पर लोगों में उत्साह भी कम हो गया। यही वजह है कि जहां 30 फीसदी थ्री व्हीलर, विक्रम, टू क्लीन फ्यूल पर शिफ्ट हुए, लेकिन ढाई सौ में से एक भी सिटी बस क्लीन फ्यूल पर शिफ्ट नहीं हुई।
देहरादून की वाहन प्रदूषण में हिस्सेदारी: उत्तराखंड पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से मिली जानकारी के अनुसार, देहरादून शहर में प्रदूषण के लिए कई घटक जिम्मेदार हैं।इन में कंस्ट्रक्शन एंड डिमोलिशन, होटल एस्टेब्लिशमेंट, फॉरेस्ट फायर, अस्पताल, इंडस्ट्रीज, डीजल जनरेटर, मोटर वाहन, रोड डस्ट इत्यादि शामिल है।जो देहरादून शहर में पॉल्यूशन तकरीबन 10 फीसदी बढ़ाते हैं।(साभार एजेंसी)