आस्था का महासागर,पुण्य की डुबकी लगाकर आह्लादित हुए श्रद्धालु

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(प्रयागराज UP)14जनवरी,2025.

पौष पूर्णिमा पर गंगा, यमुना व अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी में शुभ और सर्व मंगल के प्रतीक महाकुंभ की प्रथम डुबकी के साथ गोस्वामी तुलसीदास जी की यह चौपाई साकार हो गई। जैसे समुद्र में मिलने के लिए नदियां आतुर रहती हैं, वैसे ही आस्था, भक्ति, विश्वास का जन ज्वार आधी रात को ही प्रथम डुबकी के लिए उमड़ पड़ा। सोमवार को पौ फटने से पहले संगम जाने वाली सड़कों पर भक्ति की लहरें उफनाने लगीं और रास्तों पर लयबद्ध भीड़ का रेला चलने लगा। इसी के साथ विश्व के सबसे बड़े सांस्कृतिक आयोजन के रूप में दिव्य, भव्य, सुरक्षित व डिजिटल महाकुंभ का शुभारंभ हो गया।

कंपकंपाती ठंड के बावजूद पौष पूर्णिमा पर संगम में डुबकी लगाने के लिए लोग कई-कई किमी पैदल चलकर घाट तक पहुंचे, लेकिन उत्साह ऐसा कि गंगा मैया के दर्शन कर सारी थकान काफूर हो गई। देश ही नहीं, विदेश से भी आए श्रद्धालुओं का भक्तिभाव और सनातन की संस्कृति में गहरी आस्था वसुधैव कुटुंबकम की ध्वजा लहराती नजर आई। हर-हर महादेव, हर-हर गंगे, जय श्रीराम और जय बजरंग बली के जयघोष से रह-रहकर संगम नोज समेत सभी घाट दिनभर गुंजायमान होते रहे। मंगलवार को मकर संक्रांति पर पहला अमृत स्नान होगा।

महाव्रत…कल्पवास:
पौष पूर्णिमा के पहले स्नान के साथ ही कल्पवास भी शुरू हो गया। पद्म पुराण और महाभारत के अनुसार, संगम तट पर माघ मास में कल्पवास करने से सौ वर्षों तक तपस्या करने के समान पुण्य की प्राप्ति होती है। विधि-विधान के अनुसार 10 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने केला, तुलसी और जौ रोपकर 45 दिन तक महाव्रत और संयम का संकल्प लेकर कल्पवास की शुरुआत की।

एपल के को-फाउंडर दिवंगत स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स ने भी निरंजनी अखाड़े में अनुष्ठान किया।

सुबह 6:15 बजे से शुरू हुआ अखाड़ों का स्नान:
मकर संक्रांति पर्व पर मंगलवार को अखाड़ों का अमृत स्नान करीब साढ़े नौ घंटे तक चलेगा। शिविर से निकलने और वापस आने में 12 घंटे से भी अधिक समय लगेगा। अखाड़ों के संतों एवं नागाओं के स्नान का समय तय हो गया है।

सबसे पहले महानिर्वाणी एवं अटल अखाड़े के संतों ने स्नान किया। संत सुबह सवा छह बजे संगम पर पहुंचे और करीब 40 मिनट तक अमृत स्नान किया। इनके बाद निरंजनी एवं आनंद अखाड़ा के संतों ने 7:05 बजे स्नान किया। जूना, आवाहन एवं पंचअग्नि अखाड़ा के संतों ने सुबह आठ बजे स्नान किया।

विदेशी श्रद्धालु बोले-सबसे खूबसूरत अनुभव:
अमेरिका, रूस, जर्मनी, इटली, इक्वाडोर समेत दुनियाभर से आए लोग सनातन संस्कृति से अभिभूत नजर आए। डुबकी लगाने के बाद तिलक लगाकर जय श्री राम और हर हर गंगे के जयकारे लगाए। जर्मनी की क्रिस्टीना ने कहा कि डुबकी लगाकर ऐसा लगा, जैसे आत्मा को शांति मिली हो(साभार एजेंसी)

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