(देहरादून)02नवंबर,2024.
राज्य के प्रतिष्ठित रचनाकार एक स्थल पर मिले और अनेक कहानियों का स्थानीय बोली में स्थलीय अनुवाद के सत्र में प्रतिभाग किया। शिक्षा मंत्रालय ,भारत सरकार के राष्ट्रीय पुस्तक विन्यास द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम सृजनीय और सराहनीय रहा। गढ़वाल तथा कुमाऊनी रचनाकारों द्वारा कवि सम्मेलन एवं पुस्तक चर्चा एक आकर्षण रहा।
देश विदेश के हिन्दी साहित्यकारों का समागम: देश विदेश के हिन्दी साहित्यकारों का मिलन,चर्चा,विवेचना, तथा एक साथ लेखक गांव में अनेक पुस्तकों का देश की जानी मानी हस्तियों के हाथों से लोकार्पण किया जाना नवोदित लेखकों को प्रोत्साहित कर गया।
पद्म अलंकृत हस्तियां का गांव में मिलन “राष्ट्रपति भवन” का आभास दिला गया..
लेखक गांव में इन विभूतियों का एक साथ मिलना,पूर्व राष्ट्रपति के साथ बातचीत करना और विभिन्न विषयों पर विचार करते देखन इस लेखक गांव की सराहनीय सोच की दर्शाता है।
लेखक गांव में आध्यात्मिक चिंतकों,साहित्यकारों,चित्रकारों, छायाकारों,राजनेताओं, विधि विशेषज्ञ,वैज्ञानिक,पर्यावरणविद्, शोधार्थियों,छात्र छात्राओं सहित ग्रामीणों और सैलानियों की निरंतरता से प्रतिभाग करना सुखद रहा।
शास्त्रीय तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आकर्षण: गांव में प्रख्यात नृत्यांगना सोनल मानसिंह, राष्ट्रीय नाट्य अकादमी के कलाकारों, आंचलिक लोक कलाकारों और विभिन्न शिक्षण संस्थाओं के द्वारा प्रस्तुत प्रस्तुतियां बेहद खूबसूरत रही।
गांव में मिले शिक्षक और शिक्षार्थी:
महोत्सव में छात्रों,अध्यापकों और कुलपतियों को आमंत्रित कर एक पहल की गई थी । स्थान स्थान पर छात्र और शिक्षकों का संवाद देखने को मिला।
हिन्दी सीखने आए विदेशी छात्रों का लेखक गांव में आगमन:
भारत में विभिन्न देशों से हिंदी सीखने के लिए विदेशी छात्रों का इस अवसर पर शैक्षिक भ्रमण आयोजित किया जाना महत्वपूर्ण दृष्टिकोण बना। लगभग 40 देशों के 120 बच्चों का यहां आना और हिन्दी विषय पर उनके द्वारा अनुभवों को साझा करना कार्यक्रम की वैश्विक स्तर पर स्थापित कर गया।
संक्षेप में स्पर्श हिमालय महोत्सव साहित्य, संगीत, कला,संस्कृति,सौंदर्य, सैर तथा संवाद का सुखद अवसर बन गया।
ये उत्सव सरकारी आयोजनों की औपचारिकताओं से हटकर व्यवहारिक तथा विविधताओं से पूर्ण अभिनव प्रयास है।
स्पर्श हिमालय फाउंडेशन का यह संयोजन पूर्ण रूप से लेखक साहित्यकार डॉ रमेश पोखरियाल “निशंक” की व्यक्तिगत रूचि,सोच उनके व्यवहारिक जीवन,लोगों से संवाद,संबंध और पूरे उत्सव में उनके सक्रिय आतिथ्य और सक्रियता की झलक दिखा रहा था।